जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जिले की चार नदियों हिरन, बिसैंधा, सूखा तथा तेंदुन के उद्गम स्थलों पर पहुंचकर उनका पूजन किया। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि हमारी बड़ी नदियों का अस्तित्व उनमें मिलने वाली छोटी नदियों से ही है। हमें इन जीवनदायिनी नदियों को बचाने के लिए संकल्प लेना होगा।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि नदियों के उद्गम स्थलों का संरक्षण, उनकी नियमित साफ-सफाई तथा उनमें बारह माह तक अविरल जलधारा बनाए रखना, जल गंगा संवर्धन अभियान का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत वे अब तक 58 से अधिक नदियों के उद्गम स्थलों पर जाकर पूजन कर चुके हैं। इन स्थलों पर एक विशिष्ट ऊर्जा की अनुभूति होती है। इन्हें भावी पीढ़ी के लिए सहेजना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि नदियों के संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। यह एक धैर्य और संयम का कार्य है, जिसमें समय लगता है। उन्होंने जनता से अपील की कि नदियों के उद्गम स्थलों को संरक्षित किया जाए, उनके आसपास एवं दोनों तटों पर सघन पौधरोपण किया जाए, पौधों की सुरक्षा कर उन्हें वृक्षों के रूप में विकसित किया जाए, नगरीय क्षेत्रों में नदियों में दूषित जल के प्रवाह को रोका जाए तथा नदियों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। सभी के सहयोग से ही इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है।

भ्रमण के दौरान पंचायत मंत्री ने खंधिया धाम स्थित हनुमान मंदिर तथा बघमुड़वा में भगवान शिव की पूजा-अर्चना भी की।

जल गंगा संवर्धन अभियान जल संरक्षण के साथ भविष्य संरक्षण की भी पहल : राज्य मंत्री श्रीमती सिंह

पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्रीमती राधा सिंह ने कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान न केवल जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य की नींव भी रखता है। उन्होंने कहा कि आज जल संकट एक वैश्विक चुनौती बन चुका है, ऐसे में हमें अपने परंपरागत जल स्रोतों नदियों, झीलों और कुओं को पुनर्जीवित कर जल चक्र को संतुलित बनाना होगा।

मंत्री श्रीमती सिंह ने कहा कि यह अभियान समाज को जल के प्रति जागरूक बनाने के साथ ही प्रकृति और संस्कृति से जोड़ने का माध्यम भी है। नदियों के उद्गम स्थलों का संरक्षण, नदियों की धारा को अविरल बनाए रखना और उनके किनारों पर पौधरोपण जैसे कार्य भावी पीढ़ियों को जल संकट से बचाने के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण केवल एक सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्त्तव्य है और इस दिशा में जनभागीदारी ही इस अभियान की सबसे बड़ी शक्ति है।