भोपाल l पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्व-सहायता समूहों का तीन दिवसीय राखी मेले का शुभारंभ मंगलवार को भोपाल हाट में किया। राखी मेला 5 अगस्त से 7 अगस्त 2025 तक चलेगा।

मेले के शुभारंभ के साथ ही आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों की दीदियों की खुशहाली और सशक्तिकरण के अभियान ‘’ये वक्त हमारा है’’ की शुरुआत हुई। इस अभियान के वार्षिक कैलेंडर का विमोचन तथा आरसेटी मार्ट का शुभारंभ भी हुआ। समूहों की दीदियों ने मंत्री श्री पटेल को राखी भी बांधी। इस अवसर पर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्रीमती राधा सिंह भी उपस्थित रहीं।

मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती हर्षिका सिंह ने मेले के संबंध में जानकारी दी। सीहोर जिले से आई स्व-सहायता समूह सदस्य श्रीमती चिंतामणि दीदी ने तथा सिवनी जिले से आई डीडीयूजीकेवाय की प्रशिक्षणार्थी आकांक्षा विश्वकर्मा ने अपने अनुभव साझा किये।

मेले में विभिन्न जिलों की स्व-सहायता समूहों की दीदियों द्वारा समूह उत्पादों के विक्रय-सह-प्रदर्शन के लिये लगभग 40 स्टॉल लगाये गये हैं। मेले की साज-सज्जा में खास तौर पर ग्रामीण परिवेश का एहसास कराने के लिये "सावन की थीम" पर पर्यावरण हितैषी वस्तुओं का उपयोग किया गया है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्व-सहायता समूहों के उत्पादों को वृहद बाजारों से जोड़ने के लिये अनेकों प्रयास आजीविका मिशन द्वारा किये जा रहे हैं। इसी क्रम में स्व-सहायता समूहों का तीन दिवसीय राखी मेले का आयोजन किया गया है।

मेले में विभिन्न-जिलों से आई स्वी-सहायता समूहों की दीदियों द्वारा लगाये स्टॉल पर राखी के त्यौहार को ध्यान में रखते हुये विशेष रूप से राखी, मिठाईयां वस्त्र एवं सजावटी सामान सहित अन्य अनेकों प्रकार की समूहों द्वारा निर्मित वस्तुएं लाई गई हैं।

मेले में झूला, खटिया, बैलगाड़ी, मटके, विभिन्न जिलों के जनजातीय समुदाय द्वारा बांस एवं अन्य, पत्तियों आदि से बनाई जाने वाली टोपी एवं खान-पान में मिलेट्स, महुआ आदि के व्यंजन तथा मध्यप्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के अन्य व्यंटजन ग्रामीण परिवेश का एहसास करा रहे हैं।

मेला न केवल स्व-सहायता समूहों की मेहनत और हुनर का उत्सव है, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और सामुदायिक एकजुटता का भी प्रतीक है। उत्पादों की विविधता मेले में चार चांद लगा रही है। मेला न केवल लोगों को खरीदारी का अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि लोगों को समूह से जुडी ग्रामीण महिलाओं के आत्मनिर्भरता और उद्यमिता के प्रेरक सफर को देखने का अवसर भी प्रदान कर रहा है।