जबलपुर l कृषि विज्ञान केन्‍द्र एवं किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास विभाग के संयुक्‍त तत्‍वाधान में विकासखंड शहपुरा के ग्राम पिपरिया कला में आज धान की पराली प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें कृषि विज्ञान केन्‍द्र के वैज्ञानिक डॉ.ए.के.सिंह तथा डॉ.डी.के.सिंह ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्‍वविद्यालय द्वारा तैयार किये गये बायोडायजेस्‍टर का नरवाई प्रबंधन के लिए प्रयोग करने के बारे में विस्‍तार से चर्चा की गई। वैज्ञानिकों ने उपस्थित कृषकों से चर्चा में बताया कि उपरोक्‍त बायोडायजेस्‍टर द्वारा नरवाई प्रबंधन का प्रदर्शन गांव में विगत तीन वर्षों से आयोजित किया जा रहा है, जिसके बहुत अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त हुए हैं। पिपरिया कला गांव के कृषक धान, गेहूं, मक्‍का आदि फसलों की नरवाई को बायोडायजेस्‍टर का प्रयोग कर खेत में मिला देते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्‍ता अच्‍छी हुई है, कार्बन की मात्रा में वृद्धि से फसल उत्‍पादन भी बढ़ा है। कार्यक्रम में उप संचालक कृषि डॉ.एस.के. निगम द्वारा कृषि विज्ञान केन्‍द्र के इस मॉडल को सभी किसानों से अपनाने पर जोर दिया। साथ ही उन्‍नत कृषि यंत्रों के उपयोग से पराली प्रबंधन के तरीकों की जानकारी दी। इस अवसर पर किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास विभाग से सहायक संचालक कृषि श्री रवि कुमार आम्रवंशी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ. इंदिरा त्रिपाठी, वरिष्‍ठ कृषि विकास अधिकारी शहपुरा सुश्री मेघा अग्रवाल ने भी पराली प्रबंधन पर चर्चा की। पराली प्रबंधन के यांत्रिक विधि से प्रबंधन के लिए कृषि अभियांत्रिकी विभाग से श्री सुनील चौधरी द्वारा यंत्रों के उपयोग तथा उन पर दी जाने वाली अनुदान प्रक्रिया के बारे में विस्‍तार से अवगत कराया गया।