टीकमगढ़ l कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह एवं जयपाल छिगारहा के द्वारा रबी मसाला फसलों हेतु प्याज की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। प्याज सभी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है । बलुई दोमट भूमि प्याज उत्पादन के लिए सर्वाेत्तम मानी जाती है।
सर्वप्रथम प्याज की खेती से पूर्व उसकी नर्सरी डालनी पड़ती है। 3ग्1 मीटर के आकार का बेड तैयार कर प्याज के बीज को कार्बेन्डाजिम मात्रा 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर तैयार किये गये नर्सरी बेड में कतार से कतार 5 सें.मी की. दूरी पर बोनी कर दें। प्याज की खेती हेतु 3 कि.ग्रा. बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता पड़ती है। रबी मौसम हेतु प्याज की नर्सरी तैयार करने का सबसे उचित समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर है। नर्सरी तैयार होने के पश्चात 10ग15 सेंटीमीटर की दूरी पर प्याज रोपाई करें। प्याज की खेती के लिए सर्वप्रथम प्रजाति का चयन करना अति आवश्यक होता है क्योंकि प्याज की खेती हेतु खरीफ और रबी मौसम की अलग-अलग प्रजातियां होती हैं। यदि किसान भाई खरीफ मौसम की प्रजाति रबी मौसम में लगाते हैं तो उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही गुणवत्ता भी प्रभावित होती है । जिले के ज्यादातर किसान भाई ऐसी गलती कर जाते हैं। खरीफ मौसम समाप्त होने के पश्चात रबी में प्याज की खेती हेतु प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय पुणे (महाराष्ट्र) से विकसित उन्नत किस्म की प्रजातियों का किसान भाई उपयोग करें।
भीमा शक्ति- यह 120 -130 दिन में तैयार होने वाली किस्म है इसका रंग हल्का लाल होता है जिसकी उपज 130- 140 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।
भीम रेड- यह प्रजाति 115-120 दिन में तैयार हो जाती है उसका रंग भी भीमा शक्ति प्रजाति की तरह हल्का लाल होता है इसकी उपज 150-160 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
भीम राज- यह पौध रोपण के 120-125 दिन की फसल है इसका रंग गहरा लाल होता है इसकी उपज लगभग 125-130 क्विंटल प्रति एकड़ है।
उपरोक्त सभी प्याज की प्रजातियों की खेती रबी मौसम में सफलतापूर्वक की जा सकती है। अतः जिले के किसान भाई उपरोक्त प्रजाति को प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय पुणे (महाराष्ट्र) से क्रय करने हेतु डॉ. एस.के. सिंह वैज्ञानिक उद्द्यानिकी से (7999344526) संपर्क कर सकते हैं। प्याज की दर 2000 प्रति किलोग्राम एवं लहसुन 200 प्रति किलोग्राम है।