भोपाल l मध्यप्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा आदेश पारित कर एजी वेन्चर्स की परियोजना आकृति एक्वासिटी, भोपाल (P-BPL-17-732) 31-संपदा इकाई पवई-117 के आवंटिती श्री कौशलेन्द्र का आवंटन निरस्त कर दिया गया है। सम्प्रवर्तक द्वारा को आवंटिती वीआईपी बताया गया था।

प्राधिकरण ने यह पाया कि पूर्व में भू-संपदा इकाई पवई-116 का आवंटन श्री थॉमस फिलिप को 25 लाख 58 हजार रूपये में किया जाना बताया गया था। सम्प्रवर्तक द्वारा 34 आवंटितियों से कोई भी धनराशि प्राप्त नहीं की गई। इसके बावजूद भी दिवालिया घोषित किए जाने की संभावित कार्यवाही को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। प्राधिकरण ने यह भी पाया कि दस्तावेजों में हस्तलेखन से भू-संपदा इकाई पवई 117 के साथ पवई 116 जोड़ा गया है, जिससे दोनों इकाईयों की चतुरसीमा संदेहास्पद हो गई है। एजी वेन्चर्स लिमिटेड के संचालक श्री हेमंत सोनी यह भी स्पष्ट नहीं कर सके कि श्री थॉमस फिलिप द्वारा इकाई 117 के संबंध में जो दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है, उसमें कितनी स्टाम्प ड्यूटी भुगतान की गई है।

प्राधिकरण ने गंभीर विसंगति पाते हुए और पवई 116 एवं पवई 117 के आवंटन की बैधानिक स्थिति निर्धारित करने के लिए श्री थॉमस फिलिप एवं श्रीमती मिनी फिलिप को सुनवाई का अवसर दिया। प्राधिकरण ने यह पाया कि वर्ष 2010 के मूल आवंटन में श्री थॉमस फिलिप को भू-संपदा इकाई पवई 116 एवं श्री कौशलेन्द्र कथित वीआईपी को पवई 117 का आवंटन किए जाने का उल्लेख पाया गया, जो संदिग्ध था।

श्री थॉमस फिलिप एवं श्रीमती मिनी फिलिप के द्वारा जो स्वीकृति पत्र दिया गया था, उसमें किसी यूनिट क्रमांक का उल्लेख नहीं है। श्री हेमंत सोनी के द्वारा पूर्व में जितनी भी जानकारियाँ प्रस्तुत की गई हैं, उसमें श्री थॉमस फिलिप को भू-संपदा इकाई पवई 116 का ही आवंटन किए जाने का उल्लेख है। यदि पवई 116 एवं 117 दोनों का ही आवंटन श्री थॉमस फिलिप एवं श्रीमती मिनी फिलिप को होता तो न्यूनतम विक्रय मूल्य एक करोड़ रूपये से कम नहीं होता।

प्राधिकरण ने पाया कि भू-संपदा इकाई क्रमांक पवई 117 का आवंटन श्री कौशलेन्द्र (VIP) को किए जाने संबंधी जानकारी सम्प्रवर्तक द्वारा 5 अगस्त 2022 को प्रस्तुत किए गए आवंटितियों के विवरण में न होने के तथ्य को टायपिंग एरर सिद्ध करने के उद्देश्य से श्री थॉमस फिलिप एवं श्रीमती मिनी फिलिप द्वारा कूटरचित यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि उनके द्वारा पवई 116 एवं पवई 117 का आवंटन का प्रस्ताव 31 फरवरी 2012 को प्रेषित किया गया, जिसे 13 अप्रैल 2012 को स्वीकार किया गया था।

प्राधिकरण ने निष्कर्ष में पाया कि पवई 117 के आवंटन के लिए कोई विधिक विक्रय अनुबंध किए बिना इस इकाई के साथ पवई 116 का आधिपत्य अनुचित एवं अवैध रूप से श्री थॉमस फिलिप एवं श्रीमती मिनी फिलिप को सुपुर्द किया गया। प्राधिकरण ने उक्त दोनों इकाईयों का आधिपत्य तत्काल सम्प्रवर्तक को सौंपने के आदेश दिए हैं।