श्योपुर कलेक्टर श्री किशोर कुमार कन्याल ने कृषि आदान विभागों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि कृषि क्षेत्र में उन्नत बीज एवं टेक्नोलॉजी अपनाया जाये। उन्होने रबी फसल की तैयारियों की समीक्षा के दौरान निर्देश दिये कि खाद एवं बीज के सेम्पल नियमित रूप से लिये जाये। इसके लिए जिला एवं खण्ड स्तर पर दल गठित किये जाये तथा अमानक पाये जाने पर कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।

कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित बैठक में उप संचालक कृषि श्री जीके पचौरिया, कृषि वैज्ञानिक डॉ कायम सिंह, सहायक आयुक्त सहकारिता श्री धु्रव कुमार झारिया, सीसीबी नोडल श्री दिनेश गुप्ता, सहायक संचालक मत्स्योद्योग श्री बीपी झसिया, डीपीएम एनआरएलएम श्री सोहनकृष्ण मुदगल, उद्यानिकी से श्री एसएस प्रजापति सहित पशुपालन आदि विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

कलेक्टर श्री किशोर कुमार कन्याल द्वारा बैठक में जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती के लिए पूर्व से संचालित कार्यो की समीक्षा की गई। उन्होने निर्देश दिये कि मार्कफेड एवं सोसायटियों के माध्यम से डीएपी, यूरिया तथा एनपीके उर्वरको के वितरण की व्यवस्थाएं बेहतर तरीके से सुनिश्चित की जायें। उन्होने कहा कि उर्वरक के संबंध में प्रतिदिन वितरण, स्टॉक एवं डिमांड की जानकारी उपलब्ध कराई जायें। किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जायें। इसी प्रकार पूर्व से संचालित सोयाबीन उपार्जन के लिए भी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जायें।

उन्होने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि फसलो की पराली न जलाने के लिए किसानों को जागरूक किया जायें तथा पराली से चारा बनाये जाने के लिए व्यवस्थाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई जायें। बैठक में कृषि विभाग द्वारा जानकारी दी गई कि सोयाबीन उपार्जन के लिए 7 पंजीयन केन्द्र बनाये गये है, उपार्जन का कार्य श्योपुर स्थित सीडब्ल्यूसी वेयरहाउस पर किया जायेगा, यह कार्य 25 अक्टूबर से शुरू होगा।कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रबी फसल के लिए जिले में उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता है तथा डिमांड अनुसार उर्वरक उपलब्ध हो रहा है। इस सीजन के लिए 10 हजार मैट्रिक टन की आवश्यकता, आंकलन के अनुसार अभी तक 6 हजार मैट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया गया है। हाल ही में लग रही रेक से 800 मैट्रिक टन डीएपी तथा 700 मैट्रिक टन एनपीके एक-दो दिन में प्राप्त होने वाला है। वर्तमान में 665 मैट्रिक टन डीएपी तथा 815 मैट्रिक टन एनपीके उपलब्ध है, यूरिया की कोई कमी नही है। जिले में अभी तक 2 हजार 778 मैट्रिक टन डीएपी, 14 हजार 924 मैट्रिक टन यूरिया तथा 2 हजार 959 मैट्रिक टन एनपीके का भण्डारण हो चुका है। जिले की 47 सोसायटियों तथा मार्कफेड के तीन कांउटर से उर्वरक का वितरण किया जा रहा है, इसके अलावा लगभग 60 निजी दुकानों से भी उर्वरक प्रदाय किया जा रहा है।