खरगोन l वर्तमान में चना खेत की तैयारी एवं बुवाई चल रही है। चने की फसल में अच्छा उत्पादन लेने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि फॉस्फोरस, पोटाश की समस्त मात्रा एवं नत्रजन चौथाई मात्रा बेसल डोरा के रूप में देना सुनिश्चित की जाए। जिले में किसानों के लिए उर्वरक का पर्याप्त भण्डार उपलब्ध है और कहीं पर भी उर्वरक की कमी नहीं है। किसानों से अपील की गई है कि डीएपी के स्थान पर एनपीके युक्त उर्वरक का उपयोग करें।    

      उप संचालक कृषि श्री एमएस सोलंकी ने किसानों को सलाह दी है कि चना फसल के लिए 7.5 बैग एस.एस.पी. एवं 01 बैग पोटाश या 03 बैग 12ः32ः16 या 02 वैग 20ः20ः0ः13 एवं 05 बैग एस.एस.पी. के रूप में बुवाई के समय आवश्यक उपयोग करे। जिले की समस्त प्राथमिक समितियों एवं निजी विक्रेताओं के पास उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। डीएपी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में डीएपी के कई विकल्प जिले में उपलब्ध है। जैसे यूरीया प्लस सुपर, 12ः32ः16, 20ः20ः0ः13, 16ः16ः16, 15ः15ः15, 10ः26ः26 आदि उर्वरक है जिन्हें डीएपी के स्थान पर उपयोग किया जा सकता है। डीएपी में मुख्य रूप से दो ही तत्व होते है जबकि मिक्स उर्वरकों में तीनों मुख्य तत्व मौजूद होते हैं। जिससे एक ही उर्वरक से तीनों मुख्य तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। इसके साथ ही अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता में भी वृद्धि होती है। यूरिया एवं डी.ए.पी. उर्वरकों के विकल्प के रूप में नैनों यूरिया एवं नैनों डी.ए.पी. का उपयोग कर सकते है। जिनका पर्णिय छिड़काव होने से मृदा की भौतिक दशा पर भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता हैं।  

        जिले में 18 हजार 777 मेट्रिक टन यूरिया, 710 मेट्रिक टन डीएपी, 7547 मेट्रिक टन एनपीके, 17 हजार 431 मेट्रिक टन सुपर फास्फेट एवं 3078 मेट्रिक टन पोटाश उर्वरक का भण्डारण उपलब्ध है। इसके अलावा जिले में सनावद रेक पाईंट पर उर्वरक की निरंतर आपूर्ति की जा रही है। किसान अपनी सहकारी समिति से उर्वरक का उठाव कर सकते हैं। किसान नगदी में डबल लॉक केन्द्र से भी उर्वरक क्रय कर सकते हैं।