गुना l

हितग्राही का नाम           -     श्री शंकर सिंह

मोबाइल नंबर              -     7747934696

पता                     -      निवासी ग्राम सेमरा खुर्द आरोन जिला गुना

योजना का नाम                  -     आत्मा

विभाग का नाम                  -     किसान कल्याकण तथा कृषि विकास जिला गुना

दिये गये लाभ का विवरण    -     प्राकृतिक खेती प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण

लाभ से पूर्व आर्थिक पृष्ठ  भूमि      -     सामान्य, सोयाबीन, मक्का, चना, गेहूँ फसलें उगाकर बाजार में

                              बेचने का कार्य किया जा रहा था।

लाभ के बाद वर्तमान स्थिति  -     सोयाबीन, मक्का, चना, गेहूँ के उत्पादन में वृद्धिए जैविक उत्पावदों का अधिक मूल्या मिट्टी की गुणवत्ताय में सुधार, शुद्ध लाभ में वृद्धिए जैविक आदानों के उपयोग से खेती की लागत में कमी हुई है एवं जैविक उत्पादों की रेट अच्छी मिलने से  लाभ अधिक प्राप्त हुआ है।

      मैं शंकर सिंह ग्राम सेमरा खुर्द जिला तहसील आरोन जिला गुना का निवासी हॅू। मेरा ग्राम जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित हैं। पहले में रासायनिक उर्वरको का उपयोग कर खेती करता था। जिसमें लागत बहुत आती थी और उत्पादन भी कम होता था। 4 साल पहले मेरी मुलाकात आत्मा योजना में पदस्थी श्री एम.एल. त्‍यागी ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर आत्मा आरोन से हुई। उन्होनें मुझे प्राकृतिक खेती करने की सलाह दी एवं प्राकृतिक खेती करने के लिये वर्मी कम्पोस्टन खाद और अन्य प्राकृतिक कीटनाशक आदि बनाने की विधि बताई। जीवामृत बीजामृत पांच पत्तीन काडा नीमास्त्र  आदि घर पर ही तैयार कराया गया। जिनको मैंने अपनाया और मैंने अपने 0.400 हेक्टेयर खेत पर प्राकृतिक खेती करना शुरू किया। जिसके लिये मैंने अपने खेत पर वर्मी कम्पोटस्ट यूनिट बनाकर केचुआ खाद प्राप्त किया और उसका उपयोग रासायनिक खाद की जगह पर किया एवं कीट और रोग नियंत्रण के लिये प्राकृतिक कीटनाशक 5 पत्ती काड़ा गौमूत्र का प्रयोग कर फसल उत्पादन किया। जिसमें लागत बहुत कम आई एवं उत्पादन का मूल्य भी अच्छा प्राप्त हुआ। इस प्रकार प्राकृतिक खेती मुझे लाभ का धंधा सिद्ध हो रही हैं।

      मेरे द्वारा 10X10 के 4 पिट बनाये गये हैं। उनमें 15 से 20 दिन पुराना गोबर भरकर 2 पिट में 3-4 किलो केचुऐं छोडें गये। 60 से 70 दिन बाद 2 पिट में वर्मी कम्पोदस्ट चाय की पत्ती की तरह तैयार हो जाता हैं और उनसे केचुंए निकलकर अन्य 2 पिटों में पहुंच जाते हैं। इस प्रकार तैयार वर्मी कम्पोस्ट खाद को निकालकर फिर उनमें गोबर भर दिया जाता हैं। इस प्रकार निरंतर वर्मी कम्पोस्ट खाद प्राप्त होता रहता हैं। मेरे पास 4 देशी गाय हैं, जिनके लिये एक शेड बनाया हुआ हैं। उसमें उनको बांधा जाता हैं एवं शेड की निचली साईड में नाली बनाई गई हैं। गायों द्वारा गौमूत्र इस नाली के द्वारा 1 गड्डे में एकत्रित कर ड्रमो में भर लिया जाता हैं एवं गोबर समेटकर एकत्रित कर वर्मी कम्पोस्ट के लिये उपयोग किया जाता हैं।

      प्राकृतिक खेती करने पर पिछले साल मक्का में 52000 हजार रूपये प्रति एकड़ का व्यय हुआ और उत्पादन 95 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त हुआ। इस प्रकार 190000/ रूपये प्रति एकड़ उत्पादन मूल्य के प्राप्त हुये। इस वर्ष जायद सीजन में खीरा, लौकी एवं गिलकी की फसल में 52000 रूपये प्रति एकड़ का व्‍यय हुआ और उत्पादन 95 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त हुआ एवं उत्पादित माल का 2000/ रूपये प्रति क्विंटल के भाव से मूल्य प्राप्त हुआ तथा खीरा, लौकी एवं गिलकी 138000/ रूपये शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है।