प्रयागराज। सनातन मनीषियों के अनुसार  हर 144 वर्ष के अंतराल पर यह शुभ अवसर आता है l इस बार वर्ष 2025 में पुनः ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग बना है जिसके कारण यहाँ आना और संगम तट पर स्नान-ध्यान करना पुण्यकारी समझा जाता है। 2025 का दिव्य महाकुंभ 144 वर्षों की सुदीर्घ प्रतीक्षा के बाद खगोलीय गणित एवं धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक दृष्टि से ग्रह-नक्षत्रों के अभूतपूर्व मिलन के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण और मनोकामना पूर्ति की मोक्ष की पूर्ति के लिए फलदायक है। बहरहाल यह पावन स्थल अध्यात्म एवं धार्मिक आस्था में विश्वास रखने वाले प्रत्येक मानव के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है। साथ ही, धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को समझने एवं अध्ययन, चिंतन-मनन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन चुका है।