महाकुंभ का सफलतम आयोजन योगी की क्षमता का प्रमाण है

दिव्य चिंतन
महाकुंभ: सनातन संस्कृति का भव्य उत्सव और योगी सरकार की आयोजन क्षमता का प्रमाण
हरीश मिश्र
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का गौरवशाली उत्सव है, जो आध्यात्मिकता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए है। इस बार के प्रयागराज महाकुंभ ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को हमारी आयोजन क्षमता, तकनीकी दक्षता और अनुशासन का परिचय कराया। करोड़ों श्रद्धालुओं का संगम में स्नान यह दर्शाता है कि भारतीय परंपराएं आज भी कितनी जीवंत और प्रासंगिक हैं।
योगी सरकार ने इस महाकुंभ को भव्य और सुव्यवस्थित बनाने के लिए अथक प्रयास किए। 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का समुचित प्रबंधन करना एक दुष्कर कार्य था, जिसे अत्याधुनिक तकनीकों और प्रशासनिक कुशलता से सफल बनाया गया। विशेष एल्गोरिदम और एआई कैमरों की मदद से भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित की गई। बिछुड़े लोगों को उनके परिजनों से मिलाने तथा आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में भी यह तकनीक कारगर सिद्ध हुई।
महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयां दीं। श्रद्धालुओं द्वारा किए गए खर्च से प्रदेश की जीडीपी में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। यह न केवल धार्मिक पर्यटन के प्रति लोगों की रुचि को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में इस क्षेत्र के और अधिक विकास की संभावनाओं को भी उजागर करता है।
महाकुंभ की एक विशेषता यह रही कि इसमें जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र की कोई बाधा नहीं दिखी। सभी श्रद्धालु समान रूप से पुण्य-स्नान और साधना में लीन रहे, जिससे समाज में एकता और समरसता का संदेश प्रसारित हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा समापन के अवसर पर सफाई अभियान में शामिल होना और सफाईकर्मियों के साथ भोजन करना एक प्रेरणादायक पहल थी, जिसने स्वच्छता और समानता का संदेश दिया। साथ ही, इस आयोजन की रीढ़ बने पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, रोडवेज कर्मचारी आदि को सम्मानित कर सरकार ने उनके योगदान को सराहा।
महाकुंभ का यह आयोजन यह संकेत देता है कि भारत धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र बन सकता है। महाकाल और काशी कोरिडोर की तर्ज पर चारों कुंभ स्थलों का आधुनिक विकास किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2027 के सिंहस्थ कुंभ की तैयारियों की शुरुआत करना इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
निःसंदेह, महाकुंभ भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अनूठा संगम है। इसके सफल आयोजन से पूरी दुनिया को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का भव्य दर्शन हुआ। आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और भी सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाने के लिए नवाचारों को अपनाया जाना चाहिए। महाकुंभ न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की संगठन शक्ति, प्रबंधन क्षमता और सामाजिक सौहार्द का भी परिचायक है।