भूमि के छोटे टुकड़े से भी किसान प्राकृतिक खेती की कर सकते है

बालाघाट / कृषि विज्ञान केंद्र बड़गांव में 8 जनवरी को 2 दिवसीय प्राकृतिक खेती सह-प्रशिक्षक का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरएल राउत ने समापन सत्र में किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के संबंध में कहा कि यह आवश्यक नही कि एक साथ पुरे खेत में प्राकृतिक खेती की शुरुआत की जाये। इसकी शुरुआत किसान छोटे से भूमि के टुकड़े पर भी कर सकता है। डॉ. राउत ने किसानों के समक्ष रासायनिक खेती के नुकसान तथा प्राकृतिक खेती से किसानों की आय और स्वास्थ्य लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया। इस दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसआर धुवारे ने प्राकृतिक खेती व जैविक खेती के महत्व के बारे में चना, सरसो और गेहू आदि फसलों से अच्छे उत्पादन लेने तकनीक के बारे में बताया। इस कार्यशाला में बड़गांव सरपंच श्रीमती ललीता नगपुरे, सहायक संचालक उद्यानिकी श्री सीबी देशमुख , कृषि महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. शरद बिसेन व अन्य उपस्थित रहे।समापन के दौरान कृषि उपसंचालक श्री राजेश कुमार खोब्रागढ़े ने प्राकृतिक खेती में देशी गाय के महत्व और उससे निकलने वाले पदार्थो का खेती में उपयोग कर लाभ प्राप्त करने के बारे में जानकारी दी गयी। कार्यशाला के दौरान रागी फसल की खेती करने के लिये किसानों को रागी बीज के मिनी कीट वितरित किये गये। कार्यशाला में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एसआर धुवारे, वैज्ञानिक डॉ. रमेश अमुले, डॉ. शरद बिसेन ने भी सम्बोधित कर जैविक खेती तथा प्राकृतिक खेती के उत्पाद की पैकेजिंग, मौसम के पूर्वानुमान आदि के बारे में जानकारियॉ दी।