कृषि विभाग द्वारा किसानों से अपील की गई
उज्जैन । जिले के कृषकों से अपील की जाती है कि गेहूं की फसल की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवेशष (नरवाई) जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम है। वर्तमान में जिले में लगभग गेहूं फसल की कटाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। गेहूँ फसल की कटाई के पश्चात् सामान्य तौर पर किसान भाईयों द्वारा नरवाई में आग लगा देते है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है। इस संबंध में म.प्र. शासन की अधिसूचना में निषेधात्मक निर्देश दिये गये हैं। इनके अनुसार जिले के कृषकों से निम्नलिखित प्रक्रिया को अपनाने की अपील की जाती है।
खेत की गहरी जुताई के लाभ
उत्पादन में स्थिरता की दृष्टि से 2 से 3 वर्ष में एक बार खेत की गहरी जुताई करना लाभप्रद होता है। गहरी जुताई करने से आगामी मौसम में खरपतवार कम हो जाते है। जिससे खरपतवार नियंत्रण में लागत कम होती है। गहरी जुताई से मृदा में हानिकारक कीट-पतंगे/फफुंद सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से एवं पक्षियो के द्वारा हानिकारक कीटों को खाने से खेत में आगामी फसल में कीट व रोग लगने की संभावना कम हो जाती है। गहरी जुताई करने से जमीन की निचली परतों में जमा हुआ उर्वरक आगामी फसल में पौधों को आसानी से उपलब्ध होता है। अतः गहरी जुताई के अनेक लाभ है और गहरी जुताई का यही समय सबसे उपयुक्त है। जिन किसान भाईयों ने खेत की गहरी जुताई नहीं की हो, कृपया अवश्य करें। उसके बाद बख्खर/कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें। उपलब्धता अनुसार अपने खेत में 10 मीटर के अंतराल पर सब-सॉयलर चलाएं, जिससे मिट्टी की कठोर परत को तोड़ने से जल अवशोषण/नमी का संचार अधिक समय तक बना रहे।
नरवाई का उपयोग निम्न तरीकों से किया जाता है
कृषक नरवाई जलाने की अपेक्षा अवशेषों और डंठलों को एकत्रित कर जैविक खाद जैसे- भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो वे बहुत जल्दी सड़कर पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद बना सकते है। खेत में कल्टीवेंटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश खाद कि बचत की जा सकती है। तो पशुओ के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगडने से बचाया जा सकता है। कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ-मैनेजमेंट सिस्टम को सामान्य हार्वेस्टर से गेहूं कटवाने के स्थान पर स्ट्रा-रीपर एवं हार्वेस्टर का प्रयोग करना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा सकता है। अतः उपरोक्त लाभों को ध्यान में रखते हुए किसान भाईयों को नरवाई में आग नहीं लगाने एवं नरवाई को गहरी जुताई कर खेत में मिलाने की सलाह दी जाती है।