भोपाल l बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा के अन्तर्गत अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस पर लघु वीडियो प्रदर्शन एवं विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।
जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ मुकेश मिश्रा दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निर्देशक रहे और संरक्षक के रूप में प्रो. सुरेश कुमार जैन कुलगुरु, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय उपस्थित रहे। मुख्यवक्ता ने बताया कि सहिष्णुता भारतीयों के कण कण में पुरातन काल से ही समाहित रही है और "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया" की भावनाओं पर आधारित रही है। भारत कभी असहिष्णु नहीं रहा सहिष्णुता हमारे मूल स्वभाव में है ।
कुलगुरु जी ने बताया कि सहिष्णुता का अर्थ है सहनशीलता अर्थात प्रतिकूल परिस्थिति में भी सहिष्णु होना जब परिस्थिति हमारे अनुकूल न हो।
तत्पश्चात 'प्राचीन भारत सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति '  विषय पर आयोजित स्पीच प्रतियोगिता एवं पोस्टर प्रतियोगिता में सम्मिलित प्रतिभागियों में प्रथम , द्वितीय एवं तृतीय विजेताओं को प्रमाण पत्र वितरित किया गया l
कार्यकम की आयोजिका प्रो. रुचि घोष दस्तीदार (भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ)  ने उपस्थित सभी बरकतुल्लाह परिवार एवं छात्रों को अंतराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस की बधाई देते हुए आभार प्रदर्शित किया तथा कार्यक्रम का संचालन NSS प्रभारी राहुल सिंह परिहार द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।