उच्च घनत्व रोपण पध्दति से कृषक श्री कन्नुलाल का उत्पादन हुआ दोगुना

पांढुर्ना l कृषि में नवाचार और वैज्ञानिक तकनीकों का समावेश कैसे एक सामान्य किसान की किस्मत बदल सकता है, इसकी प्रेरणादायक मिसाल हैं पाढुर्णा जिले के विकासखंड सौंसर के ग्राम मर्राम के कृषक श्री कन्नुलाल कुमरे । उन्होंने अपनी पारंपरिक खेती से आगे बढ़ते हुए कृषि की, वैज्ञानिक पध्दतियों को अपनाया और हल्की भूमि में भी दोगुना से अधिक उत्पादन प्राप्त कर यह दिखा दिया है कि इच्छाशक्ति और सही मार्गदर्शन से कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाया जा सकता है।
पूर्व की स्थिति: संघर्ष और सीमित उत्पादन - कृषक श्री कन्नुलाल पहले कपास की खेती चौफली विधि से करते थे। चूंकि उनकी भूमि हल्की प्रकृति की थी, इसलिए प्रति एकड़ उत्पादन केवल 4 क्विंटल ही होता था। कई बार तो लागत भी निकल पाना मुश्किल हो जाता था। पारंपरिक तरीके से खेती करते हुए वे अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं पा रहे थे।
परिवर्तन की शुरुआत: कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क - श्री कन्नुलाल का संपर्क कृषि विभाग के अधिकारियों से हुआ। विभाग के माध्यम से ग्राम मर्राम में कपास अनुसंधान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की उपस्थिति हुई। वैज्ञानिकों ने कृषकों को उच्च घनत्व रोपण पध्दति (एच.डी.पी.एम.) से कपास की खेती करने की सलाह दी।
नई राह की ओर: उच्च घनत्व रोपण पध्दति का सफल प्रयोग - कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर अमल करते हुए कृषक श्री कन्नुलाल ने इस पध्दति को प्रायोगिक तौर पर अपनाया। उन्होंने अपने खेत में पौधों को कतार से कतार की दूरी 3 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 6 इंच रखते हुए कपास का रोपण किया। इस पद्धति से पौधों की संख्या अधिक हो गई और सभी पौधे स्वस्थ और सशक्त रूप से विकसित हुए। इस विधि से कपास के बोल बड़े और मजबूत निकले। चौफली विधि की तुलना में उत्पादन में उल्लेखनीय वृध्दि हुई। हल्की जमीन होने के बावजूद कपास की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार आया तथा उन्हें गत वर्ष की तुलना में दोगुना से भी अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ।
परिणाम: आय में जबरदस्त बढ़ोतरी - इस वर्ष श्री कन्नुलाल को चौफली विधि से होने वाले 4 क्विंटल प्रति एकड़ के मुकाबले 9 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन प्राप्त हुआ। कपास की कीमत ₹7000 प्रति क्विंटल के हिसाब से उन्हें प्रति एकड़ ₹63,000 की शुध्द आय प्राप्त हुई। यह उनकी पूर्व की आय से लगभग दोगुनी है।
भविष्य की दिशा - कृषक श्री कन्नुलाल ने यह स्पष्ट रूप से अनुभव किया कि उच्च घनत्व रोपण पद्धति पारंपरिक चौफली विधि की तुलना में कहीं अधिक प्रभावशाली और लाभकारी है। अब उन्होंने निश्चय किया है कि भविष्य में वे केवल इसी पध्दति से कपास की खेती करेंगे। साथ ही अन्य किसानों को भी यह पध्दति अपनाने के लिये प्रेरित करेंगे।