भारतीय संस्कृति और इतिहास बहुत महान है, जरूरत है अपने इतिहास को जानने की
दमोह l आधुनिक युग में जगदीश चंद्रबसु ने कहा था कि पौधों में जीवन है, वह कहते हैं कि यह बात हजारों साल पहले हमारे पूर्वजों ने कही थी, हजारों साल पहले हमारे पूर्वजों ने गंगा के तट पर बैठकर कहा था की वृक्षों में जीवन होता है, पौधे बीमार होते हैं, यह बूढ़े होते हैं और मरते भी हैं, यह सारी बातें हमारी भारतीय संस्कृति में देखने को मिलती हैं। कहने का तात्पर्य है कि हमारी भारतीय संस्कृति बहुत महान है, हमारा इतिहास बहुत महान है, जरूरत है अपने इतिहास को जानने की, उस इतिहास पर गौरव करने की। पुरातत्व विभाग के माध्यम से विश्व धरोहर सप्ताह हम मना रहे हैं, एक सप्ताह यह कार्यक्रम चलेगा, इसका पूरा लाभ उठाएं, अपनी संस्कृति को जाने, अपने पूर्वजों को जाने अपने गौरवशाली अतीत को जाने। इस आशय के विचार आज प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक, न्यास एवं धर्मस्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने नोहटा में 19 से 25 नवम्बर तक मनाये जा रहे विश्व धरोहर सप्ताह के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किये।
संस्कृति राज्यमंत्री श्री लोधी ने कहा पुरातत्व धरोहरों के संरक्षण के लिए सप्ताह मनाने का निर्णय लिया गया है। जिससे इस पीढ़ी को हमारे पुरातात्विक इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी, हम अपने पूर्वजों के बारे में भी जानेंगे, पुरातत्व में जो हमारी धरोहर है, उनको संरक्षित करने का बहुत अच्छा काम है, विद्यार्थियों को अपने पुरातात्विक इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए बहुत ही अच्छा कार्य भारत सरकार के द्वारा किया जा रहा है।
राज्यमंत्री श्री लोधी ने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का संकल्प है कि 2047 तक हम अपने भारत देश को विकसित देश की श्रेणी में लाकर खड़ा करेंगे, भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने का काम करेंगे, भारत को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनाएंगे। यह संकल्प लेकर काम कर रहे हैं उसके लिए आप सभी विद्यार्थियों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आने वाले समय में आप सभी लोग इस देश के जिम्मेदार नागरिक होंगे, तो निश्चित रूप से अपनी संस्कृति को, अपने पुरातात्विक इतिहास को आगे ले जाने का काम हम सभी लोग करेंगे।
इस अवसर पर दमोह सांसद राहुल सिंह लोधी ने कहा भारतीय पुरातात्विक विभाग द्वारा विश्व धरोहर सप्ताह मनाया जा रहा है, यह निश्चित ही भारत सरकार की बहुत अच्छी पहल है, जो आने वाले समय में हमारे युवाओं को, बच्चों को पुराने समय से जोड़ेगी, जो हमने अपनी पूर्वजों की धरोहर संरक्षित की हैं, उसके बारे में वे जानेंगे तो निश्चित ही गौरवान्वित महसूस करेंगे। एक सप्ताह का कार्यक्रम यहां लगा हुआ है, यहां आयें और हमारे बुंदेलखंड की पुरातन सनातनी परंपराओं के बारे में जानें, जब आप आकर कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे तो अपने आप को गौरांवित महसूस करेंगे।
सांसद श्री सिंह ने कहा ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य केवल यह है कि हमें पता होना चाहिए की सबसे पुरानी संस्कृति, सबसे पुरानी सभ्यता इस पूरे विश्व में भारत की है, हमें इसे जानने की जरूरत है। यह आयोजन पूरा एक हफ्ता चलेगा केवल इस बात को जगाने के लिए कि आपने जिस भूमि में जन्म लिया है, चाहे वह बुंदेलखंड हो, बघेलखंड हो यहां की हर जगह की अपनी अपनी कहानी है, अपनी-अपनी कथाएं हैं, हम उन्हें जाने इस क्रम में केंद्र सरकार निरंतर काम करती है। उन्होंने कहा मोदी जी जब विदेश जाते हैं, तब वह इस बात का ध्यान रखते हैं, कि जब कभी बड़े-बड़े ऑडिटोरियम में, बड़ी-बड़ी सभाओं में उन्हें बोलने का मौका मिलता है, तो निश्चित ही वे भारत की संस्कृति को लेकर अवश्य बात करते हैं। शुरुआत में मोदी जी ने योग की ब्रांडिंग पूरे विश्व में की थी, तो लोगों ने इस बात को एक्सेप्ट नहीं किया था की क्या विश्व स्तर पर योग पहुंच पाएगा, लेकिन आज केंद्र सरकार की पहल पर योग दिवस के रूप में एक दिन मनाया जाता है, विदेश में भी योग पूर्ण रूप से स्वीकारा गया है।
इस अवसर पर गौरव पटेल ने कहा नोहटा के नोहलेश्वर मंदिर में सात दिवस के कार्यक्रम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जबलपुर मंडल जबलपुर द्वारा आयोजित किया जा रहा है। हमारी भारतीय संस्कृति एक बहु आयामी सभ्यता है, जिसका बहुत लंबा और सुनहरा इतिहास है, इसे संरक्षित और संवारने का काम हमें करना है। उन्होंने कहा यदि हम इतिहास को सहेज कर और संकलित कर नहीं रखेंगे तो आने वाली पीढ़ी धीरे-धीरे इसको विस्मृत कर देगी।
इस अवसर पर गौरव पटेल ने कहा नोहटा के नोहलेश्वर मंदिर में सात दिवस के कार्यक्रम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जबलपुर मंडल जबलपुर द्वारा आयोजित किया जा रहा है। हमारी भारतीय संस्कृति एक बहु आयामी सभ्यता है, जिसका बहुत लंबा और सुनहरा इतिहास है, इसे संरक्षित और संवारने का काम हमें करना है। उन्होंने कहा यदि हम इतिहास को सहेज कर और संकलित कर नहीं रखेंगे तो आने वाली पीढ़ी धीरे-धीरे इसको विस्मृत कर देगी।
क्षेत्रीय निदेशक मध्य क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण डॉ. भुवन विक्रम सिंह ने कहा मध्य प्रदेश भारत का हृदय प्रदेश है और बुंदेलखंड संस्कृतिक रूप से इतना उन्नत है, विस्तृत है कि यहां पर हमारे इतिहास के हर कालखंड का प्रतिनिधित्व है, वह चाहे प्रागैतिहासिक मानव के अवशेष हो, उनकी कलाकृतियां हो, भीमबेटिका, आजमगढ़ और तमाम ऐसे क्षेत्र के माध्यम से हमारे सामने पेश है। उनके बाद के कालों के भी अवशेष हमारे पास है, मंदिरों के स्थापत्य की जो एक बड़ी धरोहर है वह हमारे पास है, लेकिन हमारा दायित्व है कि हम इसे संरक्षण प्रदान करें।
अधीक्षण पुरातत्वविद् जबलपुर मण्डल जबलपुर डॉ शिवाकान्त बाजपेयी ने कहा ऐसी पुरातात्विक धरोहर जो हजारों साल से सुरक्षित है, हम लोग आगे भी इन्हें सुरक्षित रखें यह हम सभी को प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह संपत्ति हम सभी की है।
कार्यक्रम का शुभारंभ में मॉ सरस्वती के चित्र समक्ष दीप प्रज्जवलन और माल्यापर्ण कर किया गया। इस मौके पर अतिथियों का पुष्पगुच्छ, शाल श्री फल भेंट कर स्वागत व सम्मान किया गया। कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन हुआ । अनहद कला मंडल की छात्रा ने माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की।
इस अवसर पर रूपेश सेन, नर्मदा राय, श्री सिंघई, श्री यादव, सत्यपाल सिंह, एस.डी.एम. अविनाश रावत, प्राचार्य रितु श्रीवास्तव, प्राचार्य एस.के. अग्रवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आलोक सोनवलकर और विपिन चौबे ने किया।