पांढुर्णा जिले के ग्राम रायबासा के कृषक श्री रोशन पांसे के लिए खेती अब लाभ का व्यवसाय बन गई है। वे कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर सिंगल फसल के बजाय अंतरवर्ती फसल पध्दति अपनाकर कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने कृषि विभाग की प्रेरणा से प्राकृतिक खेती करना भी शुरू कर दिया है। शुरुआत में उन्होंने अपनी 8 एकड़ भूमि में से 2.5 एकड़ में अंतरवर्ती फसल ली, जिसके सकारात्मक परिणाम आने से अब वे अपनी पूरी 8 एकड़ कृषि भूमि पर इसी पध्दति से फसल उत्पादन का विचार कर रहे हैं।
        कृषक श्री रोशन पिता मधुकर पांसे बताते हैं कि मैं विगत 5-6 वर्षों से खेती कर रहा हूँ। पहले मेरे द्वारा खरीफ एवं रबी मौसम में कुछ क्षेत्रफल में कपास, मक्का, अरहर, संतरा एवं चना की खेती की जाती थी। पूर्व में कपास की फसल सिंगल ली जाती थी या अरहर की फसल ली जाती थी जिससे मुझे कुल लागत की तुलना में कम आय प्राप्त होती थी, जो मुझे संतोषजनक नहीं लग रहा था। साथ ही मेरे द्वारा फसल उत्पादन में ज्यादातर रासायनिक खाद एवं दवाओं का उपयोग किया जाता था, जिससे मुझे प्रति एकड बहुत कम उत्पादन प्राप्त होता था तथा लगातार रसायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से भूमि की उर्वरता प्रतिवर्ष घट रही थी जिससे मुझे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था।
        कृषक श्री रोशन पांसे ने बताया कि वर्ष 2022 में मेरी मुलाकात कृषि विभाग के अंतर्गत आत्मा परियोजना के अधिकारियों से हुई। उन्होंने मुझे कपास के साथ सोयाबीन की अंतवर्तीय खेती करने की सलाह दी। अधिकारियों ने मुझे प्राकृतिक खेती मे जीवामृत, हरी खाद, कम्पोस्ट खाद, नीम तेल आदि जैविक खाद एवं दवाओं को बनाने की पूर्ण विधि सविस्तार बताई और जैविक खाद व दवाओं के उपयोग के लाभ भी बताए। जिससे प्रेरित होकर मैंने प्राकृतिक उत्पाद जीवामृत, दशपर्णी अर्क, नीमास्त्र आदि बनाकर इनका उपयोग फसल में किया जिसके परिणाम बहुत अच्छे प्राप्त हुये एवं फसल लागत में कमी आई। यह समझने के बाद मेरे द्वारा अंतवर्तीय खेती करने का निर्णय लिया गया और मेरे द्वारा 2.5 एकड़ भूमि में कपास की फसल के साथ ही सोयाबीन की फसल अंतवर्तीय फसल के रूप में लगाई है, जिसमें मुझे 30-40 हजार रूपये लागत आई है। मुझे कपास का उत्पादन 32 क्विंटल व सोयाबीन का उत्पादन 15 क्विंटल प्राप्त हुआ। इस प्रकार मुझे अंतवर्तीय फसल लगाने से कम लागत में अच्छी आय प्राप्त हुई। इस पध्दति से होने वाले लाभ को देखते हुये मैं आगामी वर्ष में पूरे 8 एकड़ क्षेत्रफल में अंतरवर्ती फसल लगाऊंगा।