अभी तक धान रोपाई नहीं कर पाएं हैं किसान तो न करें चिंता

उमरिया जिले में आज दिनांक तक 155.3 मि०मी० वर्षा हुई है जबकि विगत वर्ष में आज दिनांक तक 366.3 मि०मी० वर्षा हुई थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में 211 मि०मी० कम है। खरीफ सीजन में धान की रोपाई का समय है, लेकिन वर्षा कम होने से किसान भाई रोपा नहीं लगा पा रहे है, कोई धान रोपाई के जरिए फसल करना चाहता है तो वे किसान देरी कर चुके हैं. हालांकि, ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्हें डायरेक्ट सीडेड राइस विधि से धान की बुवाई करनी होगी. इससे वह देरी का कम से 25 दिन का समय कवर कर सकेंगे. क्योंकि, इस डायरेक्ट सीडेड राइस विधि नर्सरी का झंझट नहीं होता है और सीधे बीज की बुवाई खेत में की जाती है. इससे नर्सरी में लगने वाला करीब 25 दिन का समय बच जाता है। धान की खेती के लिए डीएसआर विधि क्या है- डायरेक्ट सीडेड राइस डीएसआर विधि से बुवाई नई तकनीक आधारित खेती का तरीका है. इसमें पारंपरिक तरीके से नर्सरी के बाद पौधों की रोपाई की बजाय खेत में सीधे बीज की बुवाई की जाती है. डीएसआर विधि अपनाने पर जोर है. इस विधि के तहत सीधे बीज की बुवाई खेत में की जाती है. जबकि, परंपरागत बुवाई में पहले धान की नर्सरी की जाती है फिर करीब 25 दिन बाद नर्सरी की खेत में रोपाई की जाती है. परंपरागत विधि में डीएसआर विधि की तुलना में दोगुना लागत खर्च होती है और समय भी अधिक लगता है। डीएसआर से खेती के फायदे- डीएसआर विधि से धान की खेती करने वाले किसानों को फसल में लगने वाले पानी की कम लागत लगानी पड़ती है. इस विधि से खेती पर पानी की खपत को 30 फीसदी कम करने में मदद मिलती है. इससे किसानों का सिंचाई में लगने वाला मोटा खर्च बच जा रहा है. इसके अलावा कम पानी वाले इलाकों में इस विधि ने किसानों की मुश्किलों को हल करने में मदद की है. । धान बुवाई में देरी होने पर किसान इस विधि का पालन कर करीब 25 दिनों के देरी वाले समय को कवर कर सकते हैं. । इस विधि से खेती करने वाले किसानों को धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच 10- 12 दिन का अतिरिक्त समय मिल सकता है। किसान के अनुसार डीएसआर विधि से लगभग 15,000 रुपये प्रति एकड़ की बचत की जा सकती है. हालांकि, इस विधि से बुवाई के लिए अधिक तापमान फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। डीएसआर विधि से खेती का बढ़ रहा रकवाः डायरेक्ट सीडेड राइस डीएसआर विधि से खेती का रकबा कुल रकबे का करीब 10 फीसदी है. इस बार डीएसआर विधि धान की खेती का रकबा बढ़ा है. क्योंकि, देरी की स्थिति में और कम पानी वाले क्षेत्रों में किसानों ने इस विधि से धान की खेती करनी शुरू कर दी है. किसान डीएसआर विधि से धान की खेती करे क्योंकि, डीएसआर विधि से किसानों को लगभग 30 फीसदी पानी बचाने में मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान भाई जिले में एग्रीकल्चर इन्स्योरेंस कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड के माध्यम से अपनी खरीफ फसलो का बीमा 31 जुलाई 2024 तक करा सकते है। ऋणी कृषको का संबंधित वित्तीय संस्था के माध्यम से फसल बीमा किया जायेगा। अऋणी कृषक संबंधित बैंक से या बीमा अभिकर्ता अथवा सी॰एस॰सी॰ के माध्यम से अपनी फसलो का बीमा करवा सकते है। उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला उमरिया ने बताया कि खरीफ फसलो का बीमा कराने के लिये भू-अधिकार पुस्तिका या बी-1, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की प्रमाणित प्रति तथा फसल बुआई प्रमाण पत्र के साथ विधिवत भरा हुआ प्रस्ताव पत्र अपने मोबाईल नम्बर के साथ प्रस्तुत करना होगा। ऋणी कृषक जो फसल बीमा योजना से बाहर होना चाहते है। उन्हें भी बीमांकन की अंतिम तिथि से 7 दिवस पूर्व अतः 24 जुलाई तक अपने संबंधित बैंक में अवश्य सूचित करें। फसल बीमा कराये जाने पर प्राकृतिक आग (आकाशीय बिजली गिरना), बादल फटना, तूफान ओलावृष्टि, चक्रवात, बाढ, जल भराव, भू-स्खलन, सूखा, कीट-व्याधियां इत्यादि से फसल नुकसान होने पर किसान भाई फसल बीमा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। फसल बीमा के संबंध में किसान भाई एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड के टोल फ्री नम्बर 18005707115 पर सम्पर्क कर सकते है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल का बीमा कराने के लिये उमरिया जिले हेतु पटवारी हल्का स्तर पर धान सिंचित के लिये प्रीमियम राशि 700 रू० प्रति हेक्टेयर, धान असिंचित के लिये 560 रूपये, मक्का के लिये 350 रू०, तुअर के लिए 660 रूपए, सोयाबीन के लिए 660 रूपए तथा जिला स्तर पर उडद के लिये 420 रु० तहसील स्तर पर कोदो-कुटकी के लिये 190 एवं तिल के लिए 336 रूपए प्रति हेक्टर प्रीमियम राशि निर्धारित है। अधिसूचित फसलो के बीमा की प्रीमियम राशि अपने बैंक अथवा सी०एस०सी० सेंटर में जमा कर रसीद प्राप्त कर सकते है।