कुछ ख़ास बात है मेरी ऊंगली में...

रायसेन l मुझे बचपन में जादू करना नहीं आता था।जब अठारह का हुआ, निर्वाचन आयोग ने जादू सीखा दिया।
   मैंने एक ईमानदार, संघर्षशील इंसान को सिर्फ इसलिए चुन लिया
क्योंकि वह ग़रीब था, पर उस एक स्याही की बूंद से मैंने सिर्फ एक आदमी नहीं, पूरे उसके खानदान के अच्छे दिन ला दिए।
   उसे सांसद, विधायक, पार्षद बना दिया। वेतन, भत्ता, पेंशन और
माननीय ! जैसे शब्दों का हकदार बना दिया।
   अब हाल ये है कि उनसे मिलना भी मुश्किल हो गया...वो व्यस्त है, कमाई में और मैं व्यस्त हूं, उलहाना देने में।