सरकारी अभियानों में हरियाली सिर्फ तस्वीरों में क्यों दिखती है, जमीनी हकीकत में तो पेड़ लगातार कट रहे हैं

नीम की त्रयोदशी में गूंजे सवाल:
क्या विकास की राह में हरियाली की बलि ज़रूरी है ?
रायसेन के ऑक्सीजन पार्क में नीम वृक्ष की कटाई ने न सिर्फ हरियाली को आहत किया, बल्कि प्रशासन की पर्यावरणीय चेतना को भी कठघरे में खड़ा किया है। मंगलवार को वृक्ष की ‘त्रयोदशी’ रायसेन जिला विकास समिति द्वारा आयोजित की गई, जिसमें नागरिकों ने श्रद्धा और रोष के साथ भागीदारी की।
जहां एक ओर लोगों ने कटे हुए वृक्ष को मौन श्रद्धांजलि दी वहीं दूसरी ओर यह कार्यक्रम पर्यावरणीय विमर्श और प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा का मंच बन गया।
हरीश मिश्र, समिति अध्यक्ष ने कहा,
“सरकारी अभियानों में हरियाली सिर्फ तस्वीरों में क्यों दिखती है ? ज़मीनी हकीकत में तो पेड़ लगातार कट रहे हैं। यह 'विकास' है या विनाश की तैयारी?”
डॉ. ए.के. शर्मा ने इस कटाई को प्रशासनिक असंवेदनशीलता की त्रासदी बताया और कहा कि
“यह त्रयोदशी केवल एक वृक्ष की नहीं, उस सोच की भी है जो प्रकृति को समस्या नहीं समाधान समझने से इनकार करती है।”
संघर्ष शर्मा (अधिवक्ता) ने इस निर्णय को 'नपा का पाखंड' करार देते हुए कहा कि
“ऑक्सीजन पार्क में ऑक्सीजन देने वाला वृक्ष काटना नगरपालिका की नीति और नीयत दोनों पर सवाल खड़े करता है।”
जावेद अहमद ने बताया कि वर्ष 2024 में समिति द्वारा लगाए गए 100 कदंब वृक्षों में से आज भी 79 जीवित हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यदि देखरेख हो तो पौधे वृक्ष बनते हैं, और हरियाली पनपती है।कार्यक्रम का संचालन अमित ठाकुर ने किया। इस आयोजन में मनोज कुशवाह, शशांक धाकड़, गोपाल साहू, पवन शाक्या, दीपक ठाकुर, अभिषेक राठौर, मनोज सक्सेना, डेविड थॉमस, राहुल बघेल, जावेद अहमद, लोकभूषण दुबे, अरविंद ताम्रकार सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।