बड़वानी /कलेक्टर डॉ. राहुल फटिंग की अध्यक्षता में शुक्रवार को कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी में आत्मा गवर्निंग बोर्ड की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के दौरान कलेक्टर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान जैविक खेती को अधिक से अधिक अपनाये क्योकि आज के समय में जैविक खेती ही मृदा सहित मनुष्य की भी आवश्यकता बन गई है। जैविक फसलों का जहां मूल्य अधिक मिलता है, वही इससे मृदा की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है। और मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होता है। इस दौरान बैठक में उपस्थित ग्राम मण्डवाड़ा के वरिष्ठ किसानों ने कलेक्टर को बताया कि वे पूर्ण रूप से गन्ना, कपास एवं केला की जैविक खेती ताराचंद बेलजी तकनीक के माध्यम से कर रहे है। इस तकनीक के माध्यम से खेती करके वे अपनी मृदा की शक्ति को सकारात्मक रूप से बढ़ा रहे है। साथ ही कृषि की लागत भी कम बैठती है, और मुनाफा अधिक होता है। जब वे रासायनिक खेती करते थे, तो अधिक मुनाफा नही मिलता था, जब से वे जैविक ताराचंद बेलजी तकनीक से जैविक खेती कर रहे है उन्हे लगभग दुगुना मुनाफा होने लगा है। किसान ने अपने खेत की उगी स्ट्राबेरी दी कलेक्टर को भेंट बैठक के दौरान ग्राम सालीटाण्डा के कृषक श्री हिमांशु डावर ने अपने खेत में जैविक पद्धति से उगाई हुई स्ट्राबेरी भी भेंट की। इस दौरान उन्होने कलेक्टर को बताया कि वे कक्षा 10वीं तक पढ़े हुए है तथा उन्हे उद्यानिकी विभाग के माध्यम से स्ट्राबेरी के पौधे प्राप्त हुए थे। उन्होने जैविक पद्धति से अपने खेत में स्ट्राबेरी उगाई है। जिसे वे बड़वानी सहित आस-पास के बाजार में 200 रुपये प्रति किलोग्राम विक्रय करते है। जिससे उन्हे अच्छा मुनाफा हुआ है। इस वर्ष उन्हे सर्वोत्तम कृषक का जिला स्तरीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। कलेक्टर ने श्री हिमांशु की पीठ थपथपाते हुए उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर हौसला हो तो कुछ भी नामुमकिन नही है। बैठक के दौरान कृषक श्री मुकेश पाटीदार ने कलेक्टर को अपने खेत में लगे हुए जिमिकंद भी भेंट किये। कलेक्टर ने उन्हे भी जैविक खेती हेतु प्रोत्साहित करते हुए कहा कि क्षेत्र के किसानों का जैविक खेती के प्रति रूझाव देखकर अच्छा लगता है। अतः किसान भाई स्वयं तो जैविक खेती अपनाये साथ ही अन्य कृषको को भी इसके लाभ बताये। बैठक के दौरान कलेक्टर ने उप संचालक कृषि श्री आरएल जामरे को निर्देशित किया कि जिले में बहुत से कृषक उन्नतशील खेती करते है। तथा जिले से कई फसलों का निर्यात भी किया जाता है। अतः जिले के कृषकों को निर्यात बंधु स्कीम के तहत निर्यात हेतु प्रशिक्षित किया जाये। जिससे कि किसान अपनी फसल दलाल के माध्यम से विक्रय न करते हुए स्वयं ही निर्यात कर सके। जिससे उन्हे अपनी फसलों का अधिक दाम मिलते हुए अधिक मुनाफा भी प्राप्त होगा।