खंडवा जिले में कपास उत्पादन में वृद्धि हेतु उच्च घनत्व पौधरोपण तकनीक एवं विपणन पर कार्यशाला का आयोजन गुरूवार को कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता कलेक्टर श्री अनूप कुमार सिंह द्वारा की गई। कार्यशाला में डॉ. डी.के. श्रीवास्तव के द्वारा जिले के प्रगतिशील कृषकों, जिनिंग मिल व्यवसायी, एफपीओ, एनजीओ, स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधियों एवं कृषि विस्तार अधिकारियों के समक्ष उच्च घनत्व पौधरोपण तकनीक एवं विपणन से संबंधित तकनीकी जानकारी पावर पॉइंट्स के माध्यम से दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि परम्परागत रूप से की जा रही खेती में कपास फसल को कतार से कतार की दूरी 90 से 100 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 60 से.मी. रखी जाती है, जिसमें पौधो की संख्या 10 हजार से 20370 पौधे प्रति हेक्टेयर आती है। उन्होंने बताया कि उच्च घनत्व पौधरोपण तकनीक में कतार से कतार की दूरी 90 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 से.मी. रखी जाती है, जिसमें पौधो कि संख्या लगभग 75,925 से 1,12,962 पौधे प्रति हेक्टेयर आती है, जिसमें परम्परागत रूप से की जाने वाली खेती की तुलना में उच्च घनत्व पौधरोपण तकनीक से 25 से 30 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। इसके बाद कार्यशाला में उपस्थित कृषकों एवं अन्य सदस्यों द्वारा तकनीक से सम्बंधित प्रश्नों के जवाब कृषि वैज्ञानिक डॉ. डी.के. श्रीवास्तव द्वारा दिए गए।

              संयुक्त संचालक संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग श्री जी. एस. चौहान द्वारा कार्यशाला में उपस्थित कृषकों को जैविक कपास तकनीक से कपास उत्पादन करने वाले कृषकों को जैविक प्रमाणीकरण हेतु लगने वाले शुल्क में 80 प्रतिशत छूट की सुविधा तथा लागत 3 वर्ष तक जैविक कपास उत्पादन करने वाले कृषकों को 2000 रूपये प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष विभाग के माध्यम से सुविधा दिलाये जाने का आश्वासन दिया गया। कार्यशाला के अंत में कलेक्टर श्री सिंह ने जिले में कपास उत्पादन में वृद्धि हेतु आवश्यक कदम उठाये जाने एवं जैविक उत्पाद का विभागीय अमले द्वारा कृषकों में प्रचार - प्रसार कराये जाने के निर्देश उप संचालक कृषि को दिए। कार्यशाला में अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय खंडवा डॉ. डी. एच. रनाडे, संयुक्त संचालक संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग श्री जी. एस. चौहान, संयुक्त संचालक इंदौर श्री आलोक कुमार मीणा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. डी.के. वाणी, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. डी.के. श्रीवास्तव, उप संचालक कृषि, परियोजना संचालक आत्मा उपस्थित थे।