भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों मौका, दस्तूर और भुट्टा चर्चा का विषय बना हुआ है। (मौका) यानि की मध्यप्रदेश की विधानसभा, (दस्तूर) यानी कि मध्यप्रदेश की विधानसभा में (घोटाले) की चर्चा और तीसरा है (भुट्टा) मतलब मध्यप्रदेश की राजनीति में विधानसभा सत्र के समाप्त होने के बाद "भुट्टे" के इर्द-गिर्द राजनीति सिमट गई।
मध्यप्रदेश में शुक्रवार को विधानसभा की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के  विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उसके नेता प्रतिपक्ष "शिवाजी नगर" में मुंह फुलाए घर में बैठ गए लेकिन इस बीच में "भुट्टे" की एंट्री विश्वास के लिए हो गई। सत्ता पक्ष और प्रदेश की मीडिया के नुमाइंदार कांग्रेस की छाती पर मूंग दलने के लिए इकट्ठे हो गए। इन सबको इकट्ठा करने के सूत्रधार बने "कैलाश"। अब  कैलाश एकाएक चर्चा का विषय बन गए ..
 पिछले कुछ वर्षों से कैलाश और भुट्टा मध्य प्रदेश की राजनीति से गायब थे लेकिन वर्ष 2024 में इन दोनों की एंट्री हो गई। एंट्री भी जहा हुई। उस जगह का नाम है "शिवाजी नगर"। वैसे भी कैलाश और शिवाजी नगर का "जुड़ाव" वर्षों से रहा है।
ऐसे में "शिवाजी नगर" जहा पर प्रदेश कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय और नेता प्रतिपक्ष का सरकारी घरौंदा है। माता संतोषी के दिन प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने वर्षा कालीन सत्र में सदन के अंदर कांग्रेस को घोड़ा पछाड़ पटकनी (घोटालो की चर्चाओं) पर दी तो वही 5 दिन में ही सदन की कार्यवाही (भगवा) ताकत के सामने झुक गई और रही बची कसर कैलाश ने अपने "शिवाजी नगर" स्थित बंगले पर "भुट्टा पार्टी" कर के कर दी।इससे कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष  दोनों की छाती पर मानो "सांप लोट गए"।
धीरे-धीरे पावर हब बन रहे "शिवाजी नगर" के कैलाश के बंगले पर प्रदेश सरकार के सुप्रीमो, भाजपा के सुप्रीमो, संगठन और सरकार के समन्वयक, सत्ता के चार्म (20 वर्षों के) मीडिया कर्मियों ने भुट्टा पार्टी को भुट्टा महोत्सव बना दिया।*
यहा शिवाजी नगर का मतलब यह है कि पहले भी यहा "नदी का घर" सत्ता का "केंद्र" था। जहा (सरकार)टुंनकियो के इशारे पर नाचा करती थी। वे तो अब नहीं है लेकिन मालवा के "छत्रपति" कैलाश और शिवाजी नगर फिर से चर्चाओं में आ गए हैं। ऐसे में शिवाजी नगर से लेकर श्यामला हिल्स तक मालवा का वर्चस्व किस ओर मुड़ता है? अभी समय के "गर्भ" में है।* (खबरची)