कटनी जिले में टमाटर की खेती के लिए मृदा एवं जलवायु की अनुकूलता के कारण किसानों द्वारा सब्जी फसलों में टमाटर को प्राथमिकता दी जाती है। हार्टीकल्चर एरिया प्रोडेक्शन इन्फारमेशन सिस्टम के आंकड़ों के अनुसार कटनी जिले में टमाटर का रकवा 3 हजार 110 हैक्टेयर तथा उत्पादन लगभग 500 से 600 मैट्रिक टन अनुमानित है।                 कलेक्टर श्री दिलीप कुमार यादव ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को जिले मे टमाटर फसलोच्छादन क्षेत्र मे और अधिक इजाफा करनें के निर्देश दिए है। टमाटर उत्पादन के नजरिये से जिले की अनुकूल परिस्थितियों के मद्देनजर यहां के टमाटर का स्वाद और गुणवत्ता बेहतर होती है। जिससे जबलपुर, शहडोल सहित आस-पास के जिलों की कृषि उपज मंडियों में इसकी खासी मांग बनी रहती है। अन्य जगहों के टमाटरों की तुलना मे कटनी का टमाटर ज्यादा दिनों तक चलता है। इसलिए कटनी के टमाटर के जायके के दीवानों की संख्या जितनी कटनी में है, उससे कहीं अधिक संख्या अन्य जिलों मे है।             सहायक संचालक उद्यानिकी एस.के. त्रिपाठी बताते है कि कटनी जिले में विकासखण्ड ढीमरखेड़ा के ग्राम इमलिया मुडवारी क्षेत्र एवं अन्य विकासखण्डों में टमाटर की खेती की जा रही है। जिसमे विकासखण्ड कटनी के ग्राम कन्हवारा क्षेत्र के ग्रामो में विकासखण्ड रीठी, रैपुर, ढुढरी क्षेत्र में कई ग्रामो में विकासखण्ड बहोरीबंद के तेवरी क्षेत्र में विकासखण्ड बड़वार, भजिया भुडसा क्षेत्र तथा विजयराघवगढ़, कुंदरेही, भैसवाही क्षेत्र के ग्रामों में बहुतायत की जाती है।            उद्यान विभाग से सब्जी फसल क्षेत्र विस्तार में टमाटर फसल को ही प्राथमिकता दी जाती है। वर्ष 2024-25 में टमाटर की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 170 हेक्टेयर में संकर टमाटर का क्षेत्र विस्तार किया गया है। जिसमें ऑनलाईन पोर्टल के माध्यम से योजना के पैकेज अनुसार संकर टमाटर बीज, आई.एन.एम., आई.पी.एम., सामग्री पर 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से जिले के कृषको को अनुदान सहायता प्रदान की गई है। किसानो की आय में वृद्धि तथा सब्जियों में रसायनों के उपयोग को कम करने या बंद करने के उद्देश्य से जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार कर कृषको को सलाह दी जा रही है। तथा जैविक कीटनाशक तथा जैविक खाद्य को ही पैकेज में शामिल कर उसी पर अनुदान सहायता दी जा रही है।            उद्यान विभाग के वित्तीय सहायता एवं प्रचार-प्रसार के साथ ही जैविक खाद्य हेतु वर्मी बेड एवं सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई पद्धति (ड्रीप, स्प्रिंकलर) अपनाने की सलाह देकर कृषको को अनुदान सहायता प्रदान की जा रही है। कटनी के किसान उत्पादित टमाटर की मार्केटिंग स्थानीय मंडी मे फुटकर बिक्री के अलावा जबलपुर एवं शहडोल कालरी क्षेत्र में कर आर्थिक लाभ कमा कर समृद्धि की इबारत लिख रहे है।