कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के सभागार में एक दिवसीय केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के महत्व पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन 40 विभिन्न तहसीलों के कृषकों के बीच किया गया। जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.एस. किरार के मार्गदर्शन में वैज्ञानिकों डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. सतेन्द्र कुमार, डॉ. एस.के. जाटव, डॉ. आई.डी. सिंह एवं जयपाल छिगारहा द्वारा किया गया।
वैज्ञानिकों द्वारा केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के बारे में किसानों को विस्तार से बताया गया कि यह देश में पहली परियोजना होगी, जिसका शुभारम्भ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के करकमलों द्वारा 25 दिसम्बर को खजराहो में भूमिपूजन एवं शिलान्यास द्वारा किया जायेगा। इस परियोजना के अंतर्गत दो नदियाँ केन और बेतवा को आपस में जोड़ा जायेगा। इससे उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के कई जिले लाभान्वित होगें। केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना से मध्य प्रदेश में कुल 8.11 लाख हे. भूमि की सिंचाई सुविधा प्रदान की जायेगी जिसमें मध्य प्रदेश में केन-बेसिन से 4.47 लाख हे. और बेतवा-बेसिन से 2.06 लाख हे. वही उत्तर प्रदेश में 2.27 लाख हे. भूमि को सिंचाई का पानी उपलब्ध हो सकेगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 10 जिले लाभान्वित होगें जिसमें प्रथम चरण के जिले दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और दुसरे चरण में दतिया, शिवपुरी, सागर, रायसेन और विदिशा जिले सम्मलित होंगे।
टीकमगढ़ जिले में 130 गाँव की 43400 हे. और निवाड़ी जिले में 164 गाँव की 91018 हे. क्षेत्रफल हेतु सिंचाई का पानी उपलब्ध हो सकेगा। टीकमगढ़ अंतर्गत तहसील जैसे दिगोड़ा के 31 गांव एवं 9175 हे. क्षेत्र, जतारा के 30 गांव एवं 12250 हे. क्षेत्र, लिधौरा के 57 गांव एवं 18450 हे. क्षेत्र, पलेरा के 18 गांव एवं 3526 हे. क्षेत्र की सिंचाई की जा सकेगी। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सूखाग्रस्त एवं जल की कमी वाले क्षेत्रों में सिंचाई हेतु जल की पूर्ति करना है। केन नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के कटनी जिला में है, यह यमुना की सहायक नदी है। बेतवा नदी का उदगम स्थल मध्य प्रदेश के रायसेन जिला में है, बेतवा नदी टीकमगढ़ जिले के ओरछा से होकर गुजरती है। इस योजना के अंतर्गत कई डेम एवं नहरों का निर्माण किया जायेगा एवं पन्ना से छतरपुर टीकमगढ़ होते हुए केन नदी से नहर द्वारा उत्तर प्रदेश के बरुआसागर के पास बेतवा नदी से जोड़ा जायेगा।
इस परियोजना मुख्य उद्देश बुंदेलखंड क्षेत्र के सूखे की घटनाओं में कमी लाना, विद्युत उत्पादन, जैव विविधता का जीणोद्धार, किसानों की आर्थिक दशा में सुधार है और टीकमगढ़ जिला हरा भरा होगा। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा परियोजना के उपलक्ष में विभिन्न तहसीलों में आगामी आयोजित किसान सम्मलेन में कृषकों को वैज्ञानिक तकनीकों एवं परियोजना के महत्व को बताएँगे साथ ही केंद्र के अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों कृषक एवं विद्याथियों को इस परियोजना का महत्व एवं जागरूकता कार्यक्रम करते रहेंगे।