महाभारत में एक प्रसंग है द्रोपदी चीर हरण का । कौरवों ने भरी सभा में द्रौपदी का अपमान किया था। उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। केश खुले हुए थे। धृतराष्ट्र , पितामह भीष्म,द्रोणाचार्य जैसे शूरवीर योद्धा, सभा में चुप बैठे थे‌। दुःशासन केश पकड़ कर खींच रहा था। *दुर्योधन वाणी से  मर्यादा पार गये। दुर्योधन बोला है किसी शूर वीर की औकात ! जो इसकी रक्षा कर सके।* भरी सभा में खड़ी द्रोपदी, रक्षा की गुहार लगा रही थी। पास दुःशासन खड़ा चीर हरण कर रहा था ।

   *द्रौपदी स्वाभिमान बचाने  नियती से उलझ पड़ी ।  हे ग्वाल बालों के रक्षक! हे मुरलीधर ! हे गोविन्द मेरी रक्षा करो। अन्याय का विनाश और न्याय की स्थापना करने वाले मोहन ने वस्त्र का भंडार लगाते-लगाते साड़ी इतनी बड़ी कर दी कि उसे खींचने वाला दु:शासन थक गया।* सभा स्तब्ध रह गई। मोहन मुरली वाले ने दुर्योधन को उसकी औकात दिखा दी।

   *औकात !* शब्द पुनः प्रसंगवश चर्चा में है। शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल ने ड्राइवर्स एसोसिएशन की बैठक बुलाई थी।   बैठक में कलेक्टर  कन्याल  ने भरी सभा में सख्त लहजे में कहा कि कानून कोई भी अपने हाथ में नहीं लेगा। इस पर एक ड्राइवर ने कलेक्टर को कहा अच्छे से बोलो। *इतने में कलेक्टर वाणी की मर्यादा पार गए और कहने लगे तुम्हारी औकात क्या है? ड्राइवर ने कहा- यही लड़ाई है हमारी कोई औकात नहीं है।* 

   यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। सन्याल की भाषा की सर्वत्र निंदा हुई।  मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल को हटा दिया। इस घटना पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि हमारी सरकार में ऐसी भाषा बर्दाश्त नहीं करेंगे। अधिकारी को अपनी भाषा और व्यवहार का ध्यान रखना चाहिए। सीएम यादव ने कहा कि सभी के काम और भाव का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सरकार गरीबों की सरकार है। 

   *सच भी है, ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति को भी वाणी की मर्यादा का पालन करना चाहिए अन्यथा द्रौपदी हो या ड्राइवर उसके सम्मान की रक्षा करने के लिए मोहन जरूर आते हैं।* कलेक्टर ने वाणी से मर्यादा का उल्लघंन किया और मुख्यमंत्री यादव ने नौकरशाही को संदेश दिया। प्रदेश में कानून का शासन स्थापित किया जाएगा। लेकिन  शोषित , पीड़ित, गरीब के साथ अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जाएगीl