ब्रिक्स समिट - क़जान से मोदी का शांति संदेश और भारत की कूटनीतिक सफलता

दिव्य_चिंतन (हरीश मिश्र)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के कज़ान शहर में हुई ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भागीदारी ने वैश्विक स्तर पर भारत के दृष्टिकोण और नेतृत्व को फिर से स्पष्ट किया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना था। कल कज़ान से मोदी का शांति का संदेश न केवल रूस और ब्रिक्स देशों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। इस यात्रा की सफलता का विश्लेषण कई पहलुओं में किया जा सकता है, जो भारत की कूटनीतिक स्थिति को और मज़बूत बनाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमुख रूप से शांति और स्थिरता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक अस्थिरता और संघर्षों के दौर में शांति ही वह मार्ग है, जो विकास और प्रगति को सुनिश्चित कर सकता है। उनका संदेश केवल राजनीतिक शांति तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने आर्थिक स्थिरता और सामाजिक न्याय के माध्यम से विश्व में समृद्धि लाने पर जोर दिया।
मोदी जी ने इस मंच का उपयोग करते हुए स्पष्ट किया कि भारत वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उसने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर संतुलित और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया है। यह संदेश विशेष रूप से रूस और चीन के साथ भारत के संबंधों को और संतुलित करने का एक प्रयास था, ताकि ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके।
उन्होंने विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनुसार, ब्रिक्स देशों को विकासशील देशों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और अधिक प्रभावी ढंग से उठाना चाहिए। यह दृष्टिकोण भारत की वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षाओं को दर्शाता है, जहां वह विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रमुख भूमिका निभाना चाहता है।
इस यात्रा की एक और प्रमुख सफलता भारत और ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर केंद्रित रही। रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों में पहले से ही मजबूत संबंध हैं, और कज़ान में मोदी ने इसे और विस्तार देने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, ब्रिक्स देशों के बीच व्यापारिक संधियों और निवेश समझौतों पर भी बातचीत हुई, जो वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कज़ान शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी जी ने रूस और चीन के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश की। रूस के साथ संबंध पहले से ही मजबूत हैं, और मोदी ने इस यात्रा में इन्हें और गहरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए। वहीं, चीन के साथ कुछ सीमा और व्यापारिक विवादों के बावजूद, इस मंच का उपयोग आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया। यह भारत की बहुपक्षीय कूटनीति का हिस्सा है, जहां वह अपनी स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति को आगे बढ़ा रहा है।
कज़ान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी को एक सफल यात्रा के रूप में देखा जा सकता है। उनके शांति के संदेश और वैश्विक सहयोग की दिशा में उनके दृष्टिकोण ने ब्रिक्स देशों के बीच भारत की स्थिति को और मज़बूत किया है। भारत ने इस मंच पर विकासशील देशों की आवाज़ को प्रमुखता से उठाकर यह साबित किया है कि वह केवल एक उभरती अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और महत्वपूर्ण नेता है।
यात्रा की सफलता का विश्लेषण यह दर्शाता है कि भारत अब विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है और इस प्रकार के बहुपक्षीय मंचों का उपयोग करके वह अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ा रहा है।
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