लेखक: नितिन कुमार गुप्ता (वरिष्ठ पत्रकार एवं फाइनेंशियल एक्सपर्ट)9425609160

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है। जब बाजार करेक्शन (Correction) में जाता है, यानी इंडेक्स 10% या उससे अधिक गिरता है, तो निवेशक घबरा जाते हैं। लेकिन अनुभवी निवेशक इस स्थिति को एक अवसर के रूप में देखते हैं।

यदि आप भी करेक्शन के दौरान निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो SIP (Systematic Investment Plan) एक प्रभावी तरीका हो सकता है। आइए समझते हैं कि करेक्शन के समय निवेश करने की सही रणनीति क्या होनी चाहिए।


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1. बाजार करेक्शन को समझें

बाजार करेक्शन का अर्थ है कि किसी कारणवश स्टॉक मार्केट में गिरावट आ रही है। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं—

✔️ वैश्विक आर्थिक संकट
✔️ ब्याज दरों में बदलाव
✔️ राजनीतिक अस्थिरता
✔️ कंपनियों की कमजोर वित्तीय रिपोर्ट

हालांकि, इतिहास गवाह है कि हर करेक्शन के बाद बाजार ने रिकवरी की है और लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न दिया है।


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2. SIP: करेक्शन में निवेश का सबसे अच्छा तरीका

SIP निवेश का एक व्यवस्थित तरीका है, जिसमें आप नियमित रूप से (मासिक, तिमाही) एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड्स में लगाते हैं। करेक्शन के दौरान SIP क्यों फायदेमंद है?

✅ कम कीमत पर अधिक यूनिट्स खरीदने का अवसर – गिरावट के दौरान NAV (Net Asset Value) कम होता है, जिससे आपको अधिक यूनिट्स मिलती हैं।
✅ जोखिम कम होता है – SIP के जरिए आप बाजार के उतार-चढ़ाव से बच सकते हैं, क्योंकि आपका निवेश कई समयावधि में फैला होता है।
✅ रुपये की औसत लागत (Rupee Cost Averaging) – SIP बाजार के अलग-अलग स्तरों पर निवेश करता है, जिससे औसत निवेश लागत कम होती है।
✅ लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन – SIP लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देता है, क्योंकि बाजार हमेशा नई ऊंचाइयों तक पहुंचता है।


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3. करेक्शन के दौरान निवेश की रणनीतियाँ

A. SIP जारी रखें या बढ़ाएं

अगर आप पहले से SIP कर रहे हैं, तो इसे बंद करने की गलती न करें। बल्कि, अगर आपके पास अतिरिक्त फंड्स हैं, तो SIP की राशि बढ़ाने पर विचार करें।

B. अच्छी क्वालिटी के स्टॉक्स में निवेश करें

करेक्शन के दौरान ब्लू-चिप कंपनियों और मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों के स्टॉक्स डिस्काउंट पर मिलते हैं। यह निवेश करने का सही समय हो सकता है।

C. एकमुश्त निवेश (Lump Sum) का लाभ उठाएं

यदि आपके पास अतिरिक्त पूंजी है, तो SIP के साथ-साथ एकमुश्त निवेश भी किया जा सकता है। हालांकि, इसे एक बार में लगाने की बजाय, धीरे-धीरे बाजार की चाल को देखते हुए निवेश करें।

D. इमोशनल डिसीजन से बचें

बाजार गिरने पर डर के कारण जल्दबाजी में निवेश बेचना गलत हो सकता है। करेक्शन अस्थायी होता है, लेकिन निवेश में धैर्य रखना आवश्यक है।

E. डाइवर्सिफिकेशन बनाए रखें

अपने पोर्टफोलियो को विभिन्न सेक्टर्स और एसेट क्लासेज (जैसे गोल्ड, बॉन्ड्स, रियल एस्टेट) में फैलाएं, ताकि जोखिम कम हो।


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4. करेक्शन के बाद की स्थिति

हर करेक्शन के बाद बाजार में रिकवरी होती है। SIP और लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट का लाभ यह है कि जब बाजार ऊपर जाएगा, तो आपको ज्यादा यूनिट्स रखने के कारण बेहतर रिटर्न मिलेगा।


शेयर बाजार में करेक्शन घबराने का नहीं, बल्कि सोच-समझकर निवेश करने का समय होता है। SIP के जरिए आप बाजार के उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, मजबूत कंपनियों में निवेश करके और लॉन्ग-टर्म दृष्टिकोण अपनाकर आप वेल्थ क्रिएशन कर सकते हैं।

अगली बार जब बाजार करेक्शन में हो, तो घबराने की बजाय समझदारी से निवेश करें!


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⚠ महत्वपूर्ण चेतावनी:
बाजार में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Consultant) से परामर्श अवश्य लें।