800 रु किलो बिक रही है जंगली पिहरी की पौस्टिक सब्जी

उमरिया जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों मे जंगली सब्जी पिहरी ने रौनक बढ़ाई है। पिहरी के बाजार में मांग भी बढ़ गई है। पिहरी बारिश के तीन महीने ही बाजार मे मिलती है। पिहरी ग्रामीण क्षेत्रों का आय साधन भी है। पिहरी को उखाड़ने के लिए ग्रामीण सुबह से ही जंगल पहुंच जाते हैं। जंगल में बड़ी मशक्कत के बाद पिहरी मिलती है। पिहरी का बाजार में भाव भी 800 रुपए किलो है। पिहरी बाजार में आते ही ग्रामीणों की भीड लगी जाती है। बारिश के मौसम में पिहरी तीन महीने ही मिलती है। बारिश के दौरान गरज और लपक में पिहरी जमीन से निकलती है। निकलने के बाद ग्रामीण जंगल जाते हैं। पिहरी को उखाडकर बाजार में लाते है। बारिश के मौसम में निकलने वाली पिहरी लोग मंहगे दामो में बिकती है। जिला मुख्यालय में पिहरी का भाव 800 रुपए किलो है। पिहरी को लेने के लिए लोग भाव को नजरंदाज कर पिहरी खरीदते हैं। पिहरी का उपयोग अचार और सब्जी बनाकर खाने में करते हैं। मौसमी सब्जी और कम मिलने के कारण मंहगे दामों में पिहरी की बिक्री कम नहीं होती हैं। बल्कि आवक कम हो जाती है। ग्राहक अर्जून छांगवानी ने बताया कि पिहरी खरीदने आया हूं। जितनी भी मंहगी हो पिहरी की बिक्री हैं। आते ही बाजार में बिक जाती है। पिहरी की बाजार में आवाक कम हो जाती है। पिहरी पौष्टिक होती हैं। पिहरी बेचने आये संदीप ने बताया कि पिहरी जंगल से लाते हैं। पिहरी बाजार में 800 रुपए किलो बिकती है। बहुत मुश्किल से पिहरी मिलती है।