भूमिहीन कृषि मजदूरों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये बहुआयामी प्रयास करने की आवश्यकता
सतना l राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने चित्रकूट प्रकल्प के माध्यम से भूमिहीन कृषि श्रमिकों के लिये जो मॉडल प्रस्तुत किया है वह आत्मनिर्भर ग्रामो के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने के लिये आधारभूत प्रेरणास्रोत है। हमें आज के समय में भूमिहीन कृषि मजदूरों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये बहुआयामी प्रयास करने की आवश्यकता है। इस आशय के उद्गार मध्यप्रदेश शासन के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के आर्थिक सशक्तिकरण से कृषि प्रक्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लक्ष्य से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शनिवार को महात्मा गॉंधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में व्यक्त किये। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, दीनदयाल शोध संस्थान और मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद के एक साथ मिलकर कर रहे है। इस संगोष्ठी में देश भर के अनेक राज्यों से विद्वान विचार-विमर्श के लिये एकत्र हुये हैं।
उद्घाटन सत्र में भूमिहीन श्रमिकों के प्रश्न को संवेदनशीलता, प्रतिष्ठा, गरिमा और निजता से जोड़कर समाधान ढूंढने के लिये ‘आउट आफ बॉक्स’ विचार करने का आग्रह विशिष्ट अतिथि और पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय पासवान ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत विरोधी ताकतें कृषक और भूमिहीन श्रमिकों में संघर्ष देखना चाहती हैं, किन्तु हमारा प्रयास समन्वय से समाधान निकालने का होना चाहिये। हमारे प्रयास केवल आर्नामेंटल नहीं इंस्ट्रूमेंटल होना चाहिये।
बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये संगोष्ठी के सूत्रधार और सामाजिक समरसता के राष्ट्रीय संयोजक श्यामप्रकाश ने कहा कि पाश्चात्य चिन्तन ने हमारी दृष्टि कृषकों और भूमिहीन श्रमिकों में भेद करने वाली बनाने का प्रयास किया है, पर वस्तुतः यह दोनों एक ही हैं। परस्परपूरक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिये अनिवार्य। संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये श्याम प्रसाद ने बताया कि इस संगोष्ठी में देश भर के विभिन्न राज्यों से विद्वान प्रशासक और एक्टिविष्ट अपने अपने क्षेत्रों के भूमिहीन किसानों की समस्याओं और चुनौतियों के साथ साथ समाधान लेकर भी प्रस्तुत हुये हैं। जिसपर समग्रता से विचार होगा। आगे कार्य करने की रीति-नीति भी बनेगी।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलगुरु और उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष प्रो. भरत मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अपने नवाचारों के माध्यम से देश में अपनी विशेष पहचान बना रहा है। नानाजी देशमुख के संस्मरणों को साझा करते हुये डॉ. मिश्रा ने कहा कि नानाजी कहते थे कि आज की परिस्थितियों में- ’गॉंव उजाड़ हो रहे हैं और शहर आबाद।’ विकास का यह मॉडल दूरगामी रूप से ठीक नहीं हैं। इसके परिणाम समाज और राष्ट्र के हित में नहीं होगे। प्रो. मिश्रा ने कहा कि देश को नानाजी का चिंतन एक नई दृष्टि दे सकता है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि राष्ट्रीय महत्व के इस विषय पर चिंतन मंथन नानाजी के विश्वविद्यालय में संपन्न हो रहा है।