यह डैमेज कंट्रोल नहीं बल्कि बजट क्लीनिंग ऑपरेशन है

सीमेंट पर डामर की कालिख
सड़क नहीं, सरकारी धन पर रोलर चल रही नपा – विकास समिति
रायसेन -
रायसेन नगर पालिका की निर्माण कार्यशैली पर रायसेन जिला विकास समिति ने एक बार फिर गंभीर सवाल उठे हैं। श्री जीसीटी से शगुन गार्डन तक बनी महज़ दो महीने पुरानी सीमेंट कंक्रीट (सीसी) सड़क पर अब डामर का पेंच वर्क किया जा रहा है। इस सड़क की लागत करीब 9 से 10 लाख रुपये थी। लेकिन काम की उम्र दो महीने भी नहीं और हैरानी की बात — यह पेंच वर्क उसी सीसी सड़क पर किया जा रहा है, जिसे खुद नगर पालिका के इंजीनियर ने तकनीकी रूप से “अनुचित” बता रहे हैं ।
रायसेन जिला विकास समिति ने इस कार्रवाई को जनधन की खुली लूट करार देते हुए तीखी आपत्ति दर्ज कराई है। समिति सदस्य दिनेश अग्रवाल का कहना है, “इस तरह का काम परिषद की पारदर्शिता, जवाबदेही और निर्माण की गुणवत्ता तीनों पर बड़ा सवालिया निशान है। यह जनता के पैसों से की गई बेहिसाब बर्बादी है।
समिति के सदस्य शशांक धाकड़ कहते हैं, “सीमेंट की सतह डामर को पकड़ती नहीं। कुछ ही हफ्तों में यह परत उखड़ने लगेगी और फिर वही जर्जर सड़क, वही नया बजट, वही पुराना खेल। ये काम तकनीक नहीं, तिकड़म के आधार पर हो रहा है।”
समिति के अलर्क राजपूत कहते हैं, “सड़क में दरारें आईं तो सुधार होना चाहिए था, लेकिन सुधार के नाम पर रातों-रात डामर बिछा दिया गया। न कोई तकनीकी परीक्षण, न ठेकेदार का बोर्ड, न प्रक्रिया — यह 'डैमेज कंट्रोल' नहीं, बल्कि 'बजट क्लीनिंग ऑपरेशन' जैसा लगता है।”
स्थल से प्राप्त तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि सीमेंट सतह पर बिना स्क्रैपिंग या प्राइम कोट के सीधे डामर डाला गया है। यानी वह सब कुछ किया गया, जिसे इंजीनियरिंग मैनुअल साफ तौर पर मना करता है।
समिति के संघर्ष शर्मा ने इस पूरी प्रक्रिया को “जनधन का योजनाबद्ध दोहन” बताते हुए जांच की मांग की है। उनका कहना है कि “यह महज लापरवाही नहीं, बल्कि निर्माण माफिया और सिस्टम की गुप्त साँठ गाँठ है जिसमें मरम्मत की आड़ में घोटाले को वैध रूप देने की कोशिश की जा रही है।”
समिति के मनोज कुशवाह, हरित विश्वकर्मा , अभिषेक राठौर, राहुल बघेल,अमित ठाकुर, पवन शाक्य, लोक भूषण दुबे, दीपक ठाकुर,अंकित गुप्ता, जावेद अहमद और याकूब खान ने इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र तकनीकी और प्रशासनिक जांच की मांग की है। उनकी एक ही सीधी बात — “जब तकनीकी विशेषज्ञ खुद कह रहे हैं कि डामर नहीं टिकेगा, तो आखिर यह घिसा-पिटा खेल किसके लिए खेला गया?”