खेती के लिए लाभ का धंधा बनाने के लिए सरकार संकल्पबद्ध

सागर l खेती के लिए लाभ का धंधा बनाने के लिए भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार के संकल्प को साकार करने में रहली किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड मील का पत्थर साबित होगी। विगत वर्षों से क्षेत्र में खरीफ की फसल खराब हो रही थी सोयाबीन एवं उड़द की फसल लगातार घाटे का सौदा साबित हो रही थी। धान के हिसाब से क्षेत्र की भूमि उपयुक्त नहीं है। धान की विभिन्न किस्म की बीज लगाने के बाद भी किसान सफल नहीं हो सके। खेती से लगातार घाटा हो रहा था। इसी बीच सरकार द्वारा विशेष सहयोग के साथ कृषक उत्पादक संगठन का गठन कर किसानों को उन्नत एवं आधुनिक तरह से खेती करने प्रशिक्षण देने तथा जोखिम उठाने के लिए विभिन्न विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड एकीकृत सामाजिक आर्थिक विकास सेवाएँ भोपाल के निर्देश में रहली किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का गठन किया गया। विधि अनुसार पंजीयन कर विभिन्न स्तर पर डायरेक्टर एवं शेयर होल्डर किसानों को प्रशिक्षण लेकर तय किया गया कि कुछ नया करना होगा मक्का हमारे सागर जिले में लगाई नहीं जाती थी। मक्का लगाने के संबंध में अनेक भ्रांतियां फैली थी मक्का लगाने के लिए पोस्ट एवं प्री आधुनिक मशीनों की किसानों को जानकारी थी और न ही उपलब्ध थीं और तो और खरीददार भी नहीं थे। इसलिए मक्के का मूल्य संवर्धन करने मक्का से बनने वाले विभिन्न उत्पादों की तलाश की गई।
एथेनाल प्लांट बनाने की प्रक्रिया में अभी भी विलंब हैं जो भविष्य में लाभ दिलाएगी तथा मक्का की हो सकेगी। खपत इसके विकल्प के रूप में पशुचारा जिसकी पूरे देश में कमी है तथा अंतराष्ट्रीय तुलना में दूध का उत्पादन भी देश सहित पूरे बुदेलखण्ड में भारी कमी हैं इस क्षेत्र में अपार संभावनायें देखते हुए कंपनी ने मक्का से साइलेज बनाने का निर्णय लिया गया। जिसके लिए डायरेक्टरों ने मक्का लगाना शुरू किया। मण्डला एवं छिंदवाड़ा क्षेत्र से पहली बार हाईब्रिड बीज मंगवाया गया। जिसका हाथों से मक्का का रोपण किया गया प्रथम वर्ष का रकवा कम था। लेकिन उत्पादन और लाभ अधिक हुआ तो शेयर होल्डर किसानों के साथ साथ अन्य किसान भी खरीफ की फसल में मक्का लगाने के लिए तैयार हो गये जिसके लिए मक्का की बौनी मशीन सीडडिल विवेक नायक किसान द्वारा मंगाई गई। इसी बीच मक्का की प्रेसिंग करने के लिए आधुनिक प्रेसिंग की व्यवस्था की गई।
बड़े किसानों ने मशीने खरीद कर स्वयं की खेती की तथा सहयोग करते हुए छोटे किसानों के लिए किराये पर उपलब्ध कराए गए क्षेत्र के पशुपालकों सहित कंपनी के डायरेक्टर ने भी साईलेज का नाम भी नहीं सुना था। इसलिए कंपनी ने बाहर से साईलेज बुलवाया और लागत मूल्य से भी कम दाम पर पशुपालकों को साईलेज उपलब्ध कराया गया। पशुपालकों से व्यक्तिगत संपर्क कर एवं गोष्ठियों का आयोजन किया गया। जिसमें बिटनरी डॉ. नीरज ठाकुर द्वारा पशुपालकों को साईलेज खिलाने से होने वाले लाभों की जानकारी दी गई। तब पशुपालकों ने अपने पशुओं को साईलेज मक्का खिलाना शुरू किया। मक्का का साईलेज भूसा, चुनी, चापर, खरी का भी विकल्प हो सकता है, ऐसा पशुपालकों ने विश्वास नहीं किया। जब प्रयोग के तौर पर साईलेज खिलाया गया, तो पशुओं को लाभ पशुपालकों ने आशवासन दिया कि यदि उन्हें वर्ष भर साईलेज उपलब्ध होगा तो वह अपने पशुओं को साईलेज ही खिलायेगें। कंपनी के पास चुनौती थी कि अच्छी एवं क्षेत्र की जमीन के हिसाब से आधुनिक मशीनें जिनकी कीमत लगभग एक करोड़ से अधिक थी। जिसका उत्पादन भी अधिक होता। शेयर धारकों से मक्का की फसल खरीदने के लिए भुगतान, मजदूरी, बारदाना एवं तैयार साईलेज को स्टोर करने की बड़ी चुनौती थी। इसके लिए अनुविभागीय अधिकारी माननीय श्री गोविन्द दुबे जी द्वारा आश्वासन दिया गया। कि साईलेज स्टोर के लिए मंडी परिसर सहित उपयुक्त स्थान पर व्यवस्था करवाने में सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया जी कंपनी के लिए संबल साबित हुआ। किन्हीं कारणों से कंपनी सन् 2023 में साईलेज बनाने में सफल नहीं हो सकी। कंपनी लगातार प्रयास और प्रशिक्षण लेने महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, उत्तरप्रदेश एवं प्रदेश की राजधानी भोपाल में आईएसईडी के निर्देश में भ्रमण जारी रहे। प्रधानमंत्री ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप के तहत मशीन भारतीय स्टेट बैंक शाखा रहली से फाइनेंस करने में सहयोग किया गया। जिसमें दीपक माथुर (जिला रिसोर्स पर्सन) का विशेष सहयोग रहा। कंपनी को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने व्यापार में सक्षम बनाने शेयर होल्डरों की अंश पूंजी के बराबर इक्विटी ग्रांट की प्रथम किश्त एनडीडीबी द्वारा प्रदान की गई तथा शासन की गांरटी पर कंपनी को 10 लाख रूपये की एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक द्वारा लिमिट बना दी गई। शेयर धारक किसानों कंपनी पर भरोसा करके कुछ मक्का की फसल उधार दे दी तथा शेष राशि की व्यवस्था डायरेक्टरों द्वारा की गई। रहली नगर में प्रथम उद्योग तथा एफपीओ स्तर पर प्रदेश का पहला साईलेज का प्लांट स्थापित कर लिया । प्रथम वर्ष में ही किसानों एवं कंपनी को लाभ होना शुरू हो गया। किसान उत्साहित हैं जिन किसानों ने साईलेज बनाने मक्का की फसल कंपनी को बेंची थी उनके अन्य किसानों की तुलना में दो माह पहले ही खेत खाली हो गये थे। जिसका उपयोग करते हुए उन्होंने प्याज और लहसुन की बौनी कर ली, जो फसल बाजार में पहले आ जाती हैं उसे अधिक लाभ प्राप्त होता हैं इसलिए साईलेज बनाने मक्का की फसल बेचने वाले किसानों को भुण्टा की तुड़ाई, एकत्रिकरण और अवशिष्टों को हटाने की मजदूरी और समय की बचत हो गई। अगली फसल लगभग 45 दिन पहले आने के कारण 30 से 40 हजार रूपये अतिरिक्त अधिक लाभ प्राप्त होगा। हमारे क्षेत्र में गन्ना की फसल की पैदावार भी अच्छी होती हैं पर गुड़ बनाने के अलावा और कोई विकल्प न होने के कारण गन्ना की फसल भी उपयुक्त लाभ नहीं दिला पाता। तथा बड़े रकवा में गन्ना पैदा नहीं किया जा सकता। रहली किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड गन्ना की फसल से साईलेज निर्माण कर रही है। जो गर्मियों के दिनों में पशुओं को पौष्टिक और संतुलित आहार बनेगा तथा क्षेत्र में गन्ना कर रकवा बढ़ जाएगा। गन्ना उत्पादन किसानों को खेती लाभ का धंधा साबित होगा ।
संभवतः प्रदेश में और क्षेत्र में पहली बार रबी सीजन में मक्का की बौनी की गई हैं जो लगभग 600 एकड़ से अधिक हैं पहली बार के हिसाब से बहुत बड़ा रकवा हैं। रहली किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड रबी सीजन की मक्का को 70-80 दिनों वाली मक्का फसल को खरीदकर साईलेज बनाएगी। मक्का, गन्ना के साथ नेपियर घास भी शेयरहोल्डर किसानों को लगवाया जायेगा, जिससे एक खेत में एक वर्ष में तीन से चार फसल लेकर किसान लगभग तीन गुना लाभ प्राप्त कर पायेगा । इस पूरे प्रोजेक्ट में किसानों को ताभ के साथ साथ रोजगार के अवसर बढ़ गए हैं। कंपनी के पास 5 स्थाई कर्मचारी हैं तथा लगभग 50 अस्थाई मजदूर काम कर रहे हैं जिसमें दिव्यांग एवं महिलायें भी शामिल हैं। भविष्य में प्राकृतिक एवं पौष्टिक पशुआहार, हरा चारा सस्ते दामों पर उपलब्ध होने से क्षेत्र में पशुधन की वृद्धि तथा शुद्ध दूध की उपलब्धता बढ़ेगी। पूरे देश में शुद्ध दूध की मांग है। इसलिए किसानों एवं पशुपालकों के लिए यह प्लाण्ट लाभ का माध्यम बनेगा। चालू सत्र के खरीफ सीजन में 5000 बैग मक्का साईलेज बनाया गया अर्थात लगभग ३०० टन। जिसमें से लगभग 100 टन साईलेज विक्रय की जा चुकी है। लगभग ७० टन ग्रीन फोडर ताजा हरा चारा बेचा जा चुका है। लगभग 1500 रूपये प्रति टन के हिसाब से लाभ प्राप्त हुआ। अनुमानित पांच लाख पचास हजार रूपये का संचित लाभ होगा। बाकि स्टॉक में है इसके साथ ही गन्ना से साईलेज बनाने का कार्य चल रहा है। गन्ना साईलेज का टारगेट लगभग 350 टन है।
कंपनी में लगभग 383 शेयरधारक लगभग 50 ग्रामों से बनाए गए हैं। कंपनी का मुख्य उद्देश्य भूसे के अभाव में पशुपालकों को उचित दामों पर प्राकृतिक एवं गुणवत्तायुक्त पशुचारा उपलब्ध कराना है तथा गौशालाओं में पशुचारा के अभाव में पशुधन की भूख से होने वाली मौतों का रोककर पौष्टिक भोजन देकर स्वस्थ्एवं खुशहाल समृद्ध मध्यप्रदेश की ओर बढ़ना है। भविष्य में रहली किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्तायुक्त आधुनिक मशीनों का क्रय करके मध्यप्रदेश के साथ देश के अन्य प्रदेशों में पशुचारा (साईलेज) उपलब्ध कराया जाएगा। हमारा साईलेज अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर बनाया जा रहा है। जिसे दूसरे देशों में निर्यात किया जाएगा।