भोपाल l नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री राकेश शुक्ला द्वारा प्रेस वार्ता में जानकारी दी गई कि  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सौर ऊर्जा के बिजन एवं मार्गदर्शन तथा प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में म०प्र० नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निरन्तर नई उचाईयों को छू रहा है जिससे निकट भविष्य में म०प्र० अग्रणी राज्यों में शामिल होगा। प्रदेश में वर्ष 2012 में प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से स्थापित संयंत्रों की क्षमता 500 मेगावाट से भी कम थी। पिछले 12 वर्षों में राज्य की कुल नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से स्थापित क्षमता बढकर लगभग 7000 मेगावाट हो गई है। इस प्रकार राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता में नवकरणीय ऊर्जा का अंश बढकर लगभग 21 प्रतिशत हो गया है।

हमारी योजना है कि आने वाले वर्षों में नवकरणीय ऊर्जा से संयंत्रों की स्थापित क्षमता को 20,000 मेगावाट तक का उत्पादन करें।

आज यह जानकारी देकर हर्ष हो रहा है कि 20.000 मेगावाट की पूर्ती के लिये राज्य शासन द्वारा 21 अक्टूबर 2024 को 300-300 मेगावाट क्षमता की सोलर पार्क परियोजना की सैद्धांतिक स्वीकृति जिला धार एवं सागर हेतु प्रदान की गई है। इन परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत का क्रय एम.पी.पी.एम.सी.एल द्वारा निविदा के माध्यम से न्यूनतम दर निर्धारित कर किया जायेगा जिससे प्रदेश को सस्ती बिजली प्राप्त हो सकेगी।

म०प्र० सौर ऊर्जा से समृद्ध प्रदेश है जिसमें सौर ऊर्जा के क्षेत्र में चौमुखी विकास किया जा रहा है। जैसे पूर्व में रीवा की गुढ परियोजना पश्चिम में ओंकारेश्वर एवं नीमच परियोजनायें उत्तर में मुरैना की प्रस्तावित परियोजना, मध्य एवं दक्षिण में सागर की प्रस्तावित परियोजना शामिल है।

जिसके पूर्व क्षेत्र में रीवा जिले में 750 मेगावाट क्षमता का तत्समय एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट स्थापित होने का गौरव प्राप्त है जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया गया था।

प्रदेश में किसानों को भी ऊर्जा उत्पादक बनने का अवसर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री कुसुम 'अ' एवं कुसुम 'स' के माध्यम से हम अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का कार्य भी पूर्ण तत्परता से कर रहे हैं।

कुसुम 'अ' के तहत 2 मेगावाट तक की परियोजनाएं किसानो द्वारा अपनी जमीन पर लगायी जा सकती हैं। परियोजनाएं चिन्हित सबस्टेशन के 5 किलोमीटर की परिधि में की जा सकती हैं। किसान अपनी भूमि को कुसुम 'अ' परियोजनाओं के लिए विकास को को लीज पर भी दे सकते हैं। परियोजना से उत्पादित बिजली का क्रय पावर मेनेजमेंट कंपनी द्वारा रू. 3.25 प्रति यूनिट दर से किया जा रहा है। कृषकों द्वारा कुसुम 'अ' के अन्तर्गत अभी तक 30 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है, लगभग 600 मेगावाट की परियोजनाओं का चयन किया जा चुका है एवं 1000 मेगावाट की अतिरिक्त परियोजनायें लक्षित हैं।

कुसुम 'स' परियोजनाएं कृषि हेतु दिन में बिजली प्रदाय के लिए उपयोगी हैं। कुसुम स योजना के अंतर्गत 529 मेगावाट की परियोजनाओं का चयन किया जा चुका है एवं कुल 3000 मेगावाट की परियोजनायें लक्षित हैं।

कुसुम 'ब' के अन्तर्गत अभी तक प्रदेश में लगभग 21000 पंप स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदेश के किसानो के लिए सोलर पंप की उपलब्धता हेतु 1 लाख सोलर पम्पों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में 52000 सौर पम्पों की स्थापना हेतु निविदा जारी की गई है।

निगम द्वारा मिशन मोड में सभी शासकीय भवनों पर सोलर रूफटॉप की स्थापना का कार्य 2025 के अंत तक नवाचार के माध्यम से पूर्ण किया जाना लक्षित है। इन संयंत्रों की स्थापना रेस्को परियोजना अन्तर्गत की जावेगी। रेस्को परियोजना अन्तर्गत शासकीय भवनों को शून्य निवेश पर संयंत्रों की स्थापना की जायेगी। इन संयंत्रों से उत्पादित विद्युत संबंधित शासकीय कार्यालय को वर्तमान विद्युत दर से कम दर पर उपलब्ध होगी।