छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विकासखंड के लहगडुआ ग्राम में रहने वाली सुनीता बंजारा की कहानी एक ऐसी महिला की है, जिसने अपनी मेहनत और हौसले से न केवल अपने जीवन को बदला बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी एक मिसाल कायम की है।
       श्रीमती सुनीता बंजारा ने वर्ष 2018 में खेरापती एक स्व-सहायता समूह का गठन किया था, लेकिन शुरूआत में वे मजदूरी का काम करती थीं और उनकी मासिक आय 4000-5000 रुपये के बीच ही रहती थी। लेकिन वर्ष 2020 में जब वे म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ीं, तो उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया। ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर उन्होंने बकरी पालन के बारे में जाना और समूह से छोटे-छोटे ऋण लेकर इस काम को शुरू किया।
       धीरे-धीरे उन्होंने बकरी पालन के क्षेत्र में काफी प्रगति की। उन्होंने कई बार छोटे और बड़े ऋण लिए और अपनी बकरियों की संख्या बढ़ाई। बकरियों के विक्रय से अब उन्हें महीने में 15-20 हजार रुपये की आमदनी हो जाती। उनके परिवार में पति श्री रमेश बंजारा के अलावा एक पुत्री और एक पुत्र है। सुनीता के आर्थिक रूप से सशक्त होने से उनके परिवार की कुल आय भी अब बढ़ गई है।
       ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर सुनीता न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनीं, बल्कि उन्होंने सामाजिक रूप से भी सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव में शौचालय के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया। आंगनबाड़ी में बच्चों को भेजने के लिए प्रेरित करती हैं और जैविक खेती को भी बढ़ावा देती हैं । सुनीता का सपना है कि उनके ग्राम के सभी किसान आत्मनिर्भर बने। वे अपनी बेटी को अच्छी उच्च शिक्षा देना चाहती हैं।
       सुनीता दीदी कहती हैं कि पहले वे छोटे-छोटे काम करती थी और बड़े सपने नहीं देख पाती थी। लेकिन म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और वह बड़े-बड़े सपने देखने लगी हैं। सुनीता बंजारा की कहानी हमें बताती है कि कैसे एक महिला अपनी मेहनत और हौसले से अपनी जिंदगी को बदल सकती है और दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है। ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी योजनाएं ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।