सोयाबीन फसलों में सफेद लट का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दिए बचाव के उपाय

बैतूल l कृषि विज्ञान केन्द्र बैतूल के पौध संरक्षण वैज्ञानिक श्री आरडी बारपेटे एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री दीपक सरियाम ने मंगलवार को बैतूल विकासखंड के विभिन्न गांवों के खेतों का भ्रमण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने सोयाबीन की फसलों में भूमि जनित कीट सफेद लट व्हाइट गृब के प्रकोप की पुष्टि की। यह कीट क्षेत्रीय किसानों के बीच साबरदेही, खोदा या उडंन के नाम से भी जाना जाता है। पहले यह कीट मुख्यतः सब्जी एवं कंद फसलों को प्रभावित करता था, परंतु अब यह सोयाबीन एवं मक्का जैसी मुख्य फसलों में भी गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।
प्रकोप के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि सफेद लट पौधों की जड़ों को खाकर उन्हें कमजोर कर देती है, जिससे पौधे बिना किसी बाहरी लक्षण के अचानक सूखने लगते हैं। प्रकोपित पौधे आसानी से उखड़ जाते हैं। कीट की इल्ली सफेद और मोटी होती है तथा अंग्रेजी के ‘सी’आकार में मुड़ी रहती है, जिसका सिर गहरे भूरे रंग का होता है। विशेषज्ञों ने बताया कि खेतों में कच्चे गोबर की खाद एवं पूर्व फसल के अवशेष इस कीट की संख्या को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इसके वयस्क कीट तांबई रंग के होते हैं जो रात्रि के समय सक्रिय रहते हैं और पौधों की पत्तियां खाकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
कीट नियंत्रण एवं प्रबंधन के उपाय
मूंगफली एवं अन्य ग्रसित फसलों के बीजों को क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. कीटनाशक से 25 मिली/किग्रा की दर से उपचारित करें। खेत की मेंड़ और आसपास की झाड़ियों पर क्लोरपायरीफास 2.5 मिली, लीटर पानी का छिड़काव करें। क्लोरपायरीफास दानेदार (20 किग्रा/हेक्टेयर) या फिप्रोनिल दानेदार (10 किग्रा/हेक्टेयर) को भूमि में मिलाएं। मेटाराइजियम एनीसोप्ली जैव कीटनाशी को 1200 मि.ली./हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। इसके अलावा क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. (5 लीटर/हेक्टेयर) को 50–100 किग्रा गोबर या केंचुआ खाद में मिलाकर पर्याप्त नमी वाली भूमि में भुरकाव करें। वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील की है कि वे नियमित रूप से फसलों की निगरानी करें और समय रहते कीट नियंत्रण उपाय अपनाकर अपनी फसल को नुकसान से बचाएं।