सिंगरौली जिले में सामान्य रूप से कृषको द्वारा खरीफ एवं रबी फसलो की खेती की जाती है। विगत वर्षो से कुछ कृषको द्वारा अनुदानित दर पर सिंचाई हेतु स्प्रिंकलर उपलब्ध होने के कारण ग्रीष्मकालीन फसलो की भी खेती की जा रही है। जिसके अंतर्गत कृषक निर्मल पाठक ग्राम धानी विकासखण्ड चितरंगी द्वारा ग्रीष्मकालीन मौसम में स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाकर उड़द के साथ मक्के की खेती की जा रहे है।  किसान निर्मल पाठक ने कि पानी की कम उपलब्धता होने के कारण पहले ग्रीष्मकालीन में कोई फसल नही उगा पाते थे। खरीफ एवं रबी फसलो का उत्पादन भी कम मिलता था। जबसे कृषि विभाग द्वारा अनुदानित दर पर सिंचाई हेतु स्प्रिंकलर प्राप्त हुआ है, तब से गर्मी के मौसम में उड़द के साथ मक्के की खेती किया जाना संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि पहले  खेती से 1 एकड़ में 3 क्विंटल मक्का एवं 6 क्विंटल उड़द की उपज प्राप्त होती है जिससे राशि 6000 रुपये मक्का का एवं 44400 रुपये उड़द का प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि आज 1 एकड़ उड़द की खेती करने पर 18000 रुपये की लागत आती है। मुझे 32400 रुपये की शुद्ध अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है । कृषक द्वारा स्प्रिंकलर सिंचाई का प्रयोग करके आगामी खरीफ एवं रबी सीजन में फसलो के उत्पादन में वृद्धि की जा सकेगी। इस सिंचाई की अनेक विशेषताएं है, जैसे सिंचाई के दौरान मजदूरों पर होने वाले खर्च में कमी, इस तकनीक की मदद से पानी के साथ-साथ समय की बचत होती है। इस तकनीक का उपयोग उबड-खाबड जमीन और कम पानी उपलब्धता वाली भूमि में किया जाता है । इस विधि मे सिंचाई के पानी के साथ घुलनशील उर्वरक, कीटनाशी तथा जीवनाशी या खरपतवारनाशी दवाओं का भी प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। पानी की कमी, सीमित पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रो मे दुगुना से तीन गुना क्षेत्रफल सतही सिंचाई की अपेक्षा किया जा सकता है ।