ग्वालियर l रबी मौसम की फसलों की कटाई हो चुकी है और अनाज किसानों के घरों में आ चुका है। इस बात को ध्यान में रखकर कृषि विशेषज्ञों ने किसान भाईयों को अनाज का ठीक ढंग से भण्डारण करने की सलाह दी है।

किसान भाईयों को सलाह दी गई है कि अनाज भण्डारण साफ-सुथरे और यथासंभव पक्के कक्ष में करना चाहिए। यदि भण्डारगृह की दीवारों, छतों और फर्श में दरारें आ गई हों तो उन्हें सीमेंट लगाकर बंद कर देना चाहिए। यदि चूहों ने बिल बना लिए हों तो कांच एवं कंक्रीट भरकर सीमेंट लगाना सही रहता है। दरवाजे खिड़कियाँ बाहर खुलने वाली हों और उनमें बारीक जाली लगी होनी चाहिए। भण्डारगृह या गोदामों की पुताई चूने में फिटकरी या 50 प्रतिशत मेलाथियान मिलाकर करना सही रहता है।

अनाज भण्डारण के लिए जमीन का फर्श पक्का होना चाहिए, जिससे नमी नहीं आए। दीवारों पर फर्श से दो मीटर ऊँचाई तक कोलतार पोत देना चाहिए। यदि गोदाम में बोरे रखना हों तो लकड़ी के तख्तों पर बाँस की चटाई या 30 से.मी. बालू रेत बिछाकर उस पर बोरे रखना चाहिए। यदि अनाज मिट्टी की कोठियों में भरना हो तो उस पर कोलतार से पेंट करना अच्छा रहता है। मिट्टी की कोठी बनाते समय दो सतह के बीच में पॉलीथिन लगाना चाहिए, जिससे नमी अंदर न जाए। यदि अनाज बोरों में भरना हो तो बोरों को 50 प्रतिशत मेलाथियान के घोल से उपचारित कर लेना चाहिए। गोदाम में बोरों की थप्पियाँ लगाते समय 20 प्रतिशत स्थान खाली रखना चाहिए अर्थात थप्पियाँ छत तक नहीं लगाना चाहिए। दलहनी फसलों को दाल बनाकर रखना अच्छा रहता है।

अनाज का ठीक ढंग से भण्डारण न होने से अम्लीयता बढ़ जाती है और अनाज में दुर्गन्ध आने लगती है। फफूँद लगने से अनाज का रंग काला होकर बदरंग हो जाता है, जिससे उपज के अच्छे दाम नहीं मिलते। साथ ही फफूँद की वजह से अनाज जहरीला भी हो जाता है, जो तमाम जानलेवा बीमारियों को जन्म देता है। उचित भण्डारण न होने से बीज की अंकुरण क्षमता भी घट जाती है। इसलिए किसान भाईयों को पूरी सावधानी के साथ अनाज का भण्डारण करना चाहिए।

बीज भण्डारण के लिए सावधानियाँ

बीज का भण्डारण धातु की कोठी में नहीं करना चाहिए। बीज को बोरों में भरकर रखना अच्छा होता है। बीज के लिये रखे गए अनाज को मेलाथियान के चूर्ण से उपचारित करना चाहिए। बोरों की थप्पी 4 से 6 बोरों से अधिक न हो। अनाज को छानकर अच्छी तरह साफ करके व धूप में सुखकर रखना चाहिए। नए बीज को पुराने बीज के साथ मिलाकर रखना ठीक नहीं होता। कीड़ों का आक्रमण पता चलते ही मेलाथियान के घोल का छिड़काव करना चाहिए। अनाज पर ईडीबी से ध्रूमण भी करना ठीक रहता है। बीज के अनाज को तिरपाल या पॉलीथिन से ढँक देना चाहिए। बीज में 8 से 10 प्रतिशत नमी से अधिक न हो।