प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण को भी अपनाने से कृषक की आय
जबलपुर l पाटन विकासखण्ड के ग्राम मुर्रई के कृषक बृजराज सिंह राजपूत पारंपरिक गेहूं और धान की फसल के साथ प्राकृतिक खेती को अपनाकर आसपास के किसानों के लिये कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने की मिसाल पेश कर रहे हैं। कृषि अधिकारियों ने आज बुधवार को बृजराज सिंह के खेत पहुँचकर उद्यानिकी फसल का अवलोकन किया। बृजराज सिंह अपने 10 एकड़ खेत में फसल विविधीकरण को अपनाकर शिमला मिर्च, हरी मिर्च, मूंगफली, अदरक, टमाटर जैसी उद्यानिकी फसल ले रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने उद्यानिकी फसलों के किनारे गेंदा भी लगाया है। इससे कीट नियंत्रण में मदद मिलने के साथ ही उन्हें अतिरिक्त आय भी प्राप्त हो रही है। किसान बृजराज ने बताया कि उन्होंने उद्यानिकी फसलों को खेत के उत्तर दक्षिण दिशा में लगाया है। इससे फसल को सूर्य की रोशनी सुबह और शाम पर्याप्त मात्रा में मिलती है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया अच्छी होने के परिणाम स्वरूप पौधों का विकास भी अच्छा होता है। बृजराज सिंह ने बताया कि उनके खेत के चारों ओर नीम के पेड़ भी लगे हुए हैं जिससे कीटों का नियंत्रण होता है। बृजराज सिंह द्वारा विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक कीटनाशक का निर्माण भी किया जा रहा है। वे इनका उपयोग उद्यानिकी फसलों में कर रहे हैं। जिससे कीटों पर प्रभावी नियंत्रण के साथ उत्पादन लागत में कमी भी आ रही है। कृषि अधिकारियों के अनुसार बृजराज सिंह पहले उद्यानिकी फसलों में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का प्रयोग करते थे किंतु उन्हें प्रोत्साहित कर प्राकृतिक खेती में रुचि बढ़ाई गई। बृजराज सिंह अब जीवामृत, पाँच पर्णी अर्क, नीम कड़ा आदि बनाकर उपयोग कर रहे हैं। इस किसान के खेत में मिनी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन भी लगाया गया है। इससे मौसम के पूर्वानुमान के साथ आने वाली बीमारी, कीडों का आगमन, मिट्टी में उपलब्ध नमी आदि की पूर्व जानकारी मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है। ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन से मिली पूर्व जानकारी के आधार पर बृजराज सिंह को कृषि कार्य परिवर्तित करने में सहायता मिल रही है। अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने बताया कि किसान बृजराज सिंह द्वारा प्राकृतिक खेती करना प्रारंभ कर दिया गया है और इनके खेत का अन्य किसानों को भ्रमण कराया जा रहा है। जिससे वे भी प्रोत्साहित होकर प्राकृतिक खेती के साथ साथ फसल विविधीकरण की ओर अग्रसर हों।