झाबुआ जिले के पेटलावद ब्लॉक के ग्राम पंचायत मठमठ के खाताकुंड फलिये गाँव की श्रीमती लीला डामर की है। दीदी द्वारा बताया गया कि मैं साल 2016 में जय श्रीराम स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आजीविका मिशन के समूह में जुड़ी तब से में छोटे-छोटे ऋण लेकर घर के कामो में लगाती थी। एक दिन जब में मठमठ ग्राम संगठन की बैठक में आम सभा में एनआरएलएम के सर द्वारा खेती की बहुत सारी जानकारी दी जा रही थी। वहां यह ज्ञात हुआ कि कम लागत और अच्छी आय कमाने के लिए खेती कैसे करना, सर द्वारा तकनीकी खेती के बारें में बताया गया, मिट्टी परीक्षण , मनरेगा योजना से नन्दन फलोद्यान, गहरी जुताई, मेढ़ पर फलदार पौधरोपण के बारें में पता चला। सर से जानकारी लेकर तकनीकी खेती शुरू की।

           इसमे हमारी मदद गाँव में सी. आर.पी दीदी आते है, उनके माध्यम से हमने मनरेगा योजना में आवेदन किया। फिर हमें उद्यानिकी विभाग से मनरेगा योजना से 250 पौधे मिले, जिसमें 150 जाम के पौधे, 50 आम के पौधे, 50 नीम्बू के पौधे थे। लीला दीदी द्वारा बताया गया कि पिछले वर्ष से जाम में फल आने शुरू हुए है। आम लगना भी शुरू हुए है। पौधे के बीच बची जमीन में हल्दी, अदरक, धनिया, मेथी रतालू, की सब्जी की खेती भी करती हूँ।जाम की खेती से 28,000 रुपए ,सब्जी उत्पादन 25000 रुपए,सोयाबीन और कपास उत्पादन से 60000 रुपए और बकरी पालन 18000 रुपए की आय हुई हैं।

         इस योजना से कृषि आय में वृद्धि हुई, जिससे मेरे परिवार के लोग खुश है। लीला दीदी उदाहरण है उन्नत कृषि के माध्यम से आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की , आज वह सम्मान पूर्वक अपना जीवन जी रही है, वह अपनी और अपने परिवार की आजीविका चला रही है।