दिव्य चिंतन 

(हरीश मिश्र)

   मित्रता एक दिव्य गुण है। मैत्री स्नेह, सद्भाव और सहयोग का प्रतीक है। सच्चे लोगों से की गई मित्रता स्वार्थ के लिए नहीं परमार्थ के लिए होती है। रामायण में ऐसी ही मित्रता को प्रोत्साहित किया गया है।

*निज दुख गिरि समरज करि जाना ।*
*मित्रक दुख रज मेरु समाना ।।*

सच्चे मित्र वे हैं जो मित्र के चरित्र और व्यक्तित्व को ऊंचा उठाएं।रामायण से शिक्षा मिलती है कि मित्र कम हों पर स्पष्ट वादी और स्नेह करने वाले हों। राम रावण युद्ध भीषण संग्राम में परिवर्तित हुआ‌ । एक बार क्रुद्ध रावण ने विभीषण पर शक्ति का प्रहार किया। प्रभु श्री राम ने विभीषण को अपने पीछे कर लिया और उस शक्ति को अपने ऊपर ले लिया । 
*आवत देख सक्ति अति घोरा ।*
*प्रनतारित भंजन प्रन मोरा ।।*


अच्छे, स्पष्ट वादी मित्रों से मित्रता करें ।

लेखक ( स्वतंत्र पत्रकार )
दैनिक दिव्य घोष
मासिक मूक माटी
संपादक