दिव्य चिंतन - हरीश मिश्र 

संजय राऊत से प्रेरणा मिलती है कि बोलने से पहले दस बार सोचें। राऊत जी की शैली  यह अहसास दिलाती है कि बोलने का मतलब सिर्फ अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं, बल्कि एक ऐसा खेल है, जिसमें कभी-कभी बाण अपने ही तरकश को चुभा देता है।

तो प्रेरणा यह है कि बोलने से पहले दस बार सोचें, और अगर सोचने का मन न हो, तो कम से कम अपनी आत्मा का साइलेंसर बदल वाले।

 क्योंकि मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, वाहन में अधिकतम 80 डेसिबल आवाज वाले साइलेंसर लगाए जा सकते हैं। इससे अधिक आवाज वाले साइलेंसर को ध्वनि प्रदूषण में गिना जाता है और इसके खिलाफ कार्रवाई होती है । महाराष्ट्र के मतदाताओं ने भी अधिक आवाज वाले संजय राऊत के साइलेंसर पर वैधानिक कार्यवाही कर दी।