नई दिल्ली। एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देशी भाषाएं भारत की पहचान के लिए केंद्रीय हैं और उन्हें विदेशी भाषाओं पर वरीयता मिलनी चाहिए। शाह ने कहा कि इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्म आने लगेगी - ऐसे समाज का निर्माण अब दूर नहीं है। मेरा मानना ​​है कि हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न हैं। अपनी भाषाओं के बिना हम सच्चे भारतीय नहीं रह सकते। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब देश का कालखंड घनघोर अंधेरी रात्रि जैसा था, तब भी भक्ति साहित्य ने हमारे धर्म, स्वतंत्रता और संस्कृति के दीयों को जलाकर रखा था... साहित्य एक प्रकार से हमारे समाज की आत्मा है... आज हम सभी को देश में परिवर्तन दिख रहा है... मुझे विश्वास है कि 2047 तक यह यात्रा निश्चित रूप से हमारे सभी प्रकार के खोए हुए गौरव और समाज को वापस दिलाने का काम करेगी।