मई माह का लेखा जोखा - लोकतंत्र का तपता सच
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दिव्य चिंतन (हरीश मिश्र) मैं बड़े असमंजस में हूं कि तपते माह मई का लेखा-जोखा कहां से शुरू करूं और अंत कहां करूं! गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ मंदिरों के कपाट खुलने के उत्सव पर लिखूं या वंदनीय जनों, राजनेताओं द्वारा लोकसभा चुनाव में सार्वजनिक संवाद की गरिमा गिराने पर लिखूं। माननीय ! विद्वान न्यायाधीश के आदेश पर निबंध लिखूं या
सी बी एस ई दसवीं, बारहवीं में बच्चों की सफलता पर गीत लिखूं ।
इस माह आसमां को तपते और नेताओं को चटकते देखा।
विदूषकों ने चुनाव में जनता का मुफ्त के वादे कर, मुफ्त में खूब मनोरंजन किया। भोले-भाले जीव ने खटा-खट,खटा-खट,खटा-खट महिलाओं के खातों में पैसा आने का भरोसा दिलाया । मुलायम देह के अंश ने साइकिल पर बैठकर हुंकार भरी, जनता भाजपा से तंग आ चुकी इनको हटा देगी फटा-फट, फटा-फट, फटा-फट। लालू के सुत ने कहा अब नौकरी मिलेगी फटा-फट, भाजपा होगी सफा-चट-सफा-चट-सफा-चट। एक देह में दो रुप धारण करने वाले विश्व नेता, सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष ने कहा, शहजादे चाहे लखनऊ वाले हों या दिल्ली वाले, गर्मी की छुट्टियों पर विदेश निकल जाएंगे खटा-खट,खटा-खट,खटा-खट ।
*नहीं बोलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अत्यधिक बोलने वाले प्रधानमंत्री मोदी जी पर अत्यधिक गंभीर कटाक्ष करते देखा। उन्होंने मोदी जी को सार्वजनिक संवाद की गरिमा कम करने वाला पहला प्रधानमंत्री बताया।*
चुनाव आयोग कितने भी नियम-विनियम, अधिनियम बनाए। चुनाव प्रारंभ होने के बाद सब धरे के धरे रह जाते हैं। इस बार शासन प्रशासन के कुशल नेतृत्व में मतदान और कुछ जगह फर्जी मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होते देखा ।
दुर्भाग्य से लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के शोर शराबे में आम जीवन से जुड़े मूलभूत मुद्दे दबते देखे। *भाजपा ने 10 साल की उपलब्धि पर चुनाव नहीं लड़ा। पूरा चुनाव एम फैक्टर के आस पास लड़ा गया। एम यानी मोदी, मंदिर , मस्जिद, ममता, मुस्लिम, मंगलसूत्र, मटन, मछली , मुजरा।*
संविधान ने सांसदों को, नागरिकों की रक्षा विधि के तहत करने के लिए विशेष अधिकार दिए हैं और उन्हीं सांसदों को कानून को अपना चाकर बनाते देखा। *सेक्स स्कैंडल के अपराधी प्रज्जवल के मुद्दे पर भाजपा प्रवक्ताओं के मुंह में दही जमते देखा। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय मीडिया एंकरों को मुजरा करते देखा।*
सेक्स स्कैंडल केस के
आरोपी जे डी एस सांसद प्रज्जवल रेवन्ना ने कहा कि मैं डिप्रेशन और आइसोलेशन में चला गया। इतना अमानवीय कृत्य करने वाला दुष्कर्मी ,विपक्ष के नेता के बयान पर
डिप्रेशन और आइसोलेशन में
चला गया इससे भद्दा मजाक क्या होगा ? *इनका अपराध जघन्यतम है, अतः देश का नागरिक न्यायालय से कठोर से कठोर दंड की शीघ्र अपेक्षा रखता है।*
पुणे हादसा - नशे में लग्जरी कार से दो लोगों की जान लेने वाले नाबालिग को माननीय न्यायाधीश को निबंध लिखने की सजा सुनाते देखा। *माननीय! आपको विवेक अनुसार सजा देने का अधिकार है, लेकिन यदि आपने अपनों को खोया होता तो क्या तब भी यही सजा सुनाते?आपके लिए दो जिंदगियां खत्म हुई हैं लेकिन दो परिवारों की जिंदगी में रईस बाप की बिगड़ी हुई नाबालिग औलाद ने हमेशा के लिए अंधेरा कर दिया।*
ई डी को ग्रामीण विकास मंत्री , झारखंड, आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घर से मात्र तीस करोड़ रु नगद बरामद करते देखा। डेरा प्रमुख राम रहीम को बरी होते देखा।
धर्म आधारित आरक्षण पर मोदी जी को मुखर होते और जाति आधारित आरक्षण पर उनका मौन देखा। *राजनैतिक हिट मैन केजरीवाल पर राहु की दृष्टि और साढ़े स्वाति का प्रकोप देखा ।* गुजरात पुलिस को नीट-यूजी नकल मामले के मास्टर माइंड तुषार भट्ट और आरिफ वोरा को राजस्थान के बांसवाड़ा से हिरासत में लेते देखा।
*भोजपुर विधायक सुरेंद्र पटवा को नगर कोतवाल को मुगल कालीन भाषा में धमकाते देखा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को अलंकार रस का प्रयोग करते देखा।* अवैध रेत उत्खनन रोकने पर एक एस आई महेंद्र बागरी की ट्रेक्टर से कुचल कर हत्या होते देखी । छिंदवाड़ा में हल्दीलगे हाथों से कत्लेआम देखा। नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़ा देखा।नर्सिंग कॉलेज के चेयरमैन प्रिंसिपल और सी बी आई इंस्पेक्टर राहुल को दो लाख की न्यौछावर लेते गिरफ्तार होते देखा। मंदिर मस्जिद से लाउडस्पीकर उतरते देखा।
देश की सबसे बड़ी सदन के लिए राजनीतिक दलों द्वारा अशिक्षित, अनपढ़ों, बाहुबली , भ्रष्टाचारियों को प्रत्याशी बनते देखा। दूसरी तरफ सी बी एस ई 10 वीं गणित में 11 हजार छात्र 100 में से 100 और 12 वीं में 722 छात्रों को 100 में से 100 अंक लाते देखा। *गर्व होता है ऐसे बच्चों पर ।* तभी तो 100 में 100 अंक लाने वाली देश की प्रतिभाएं पलायन कर रही हैं। *कहां इतने प्रतिभाशाली बच्चे और कहां उनके लिए कानून बनाने वाले अशिक्षित, अनपढ़ माननीय !*
राजनैतिक दलों के आकाओं के रक्त बीज से उत्पन्न हुए ये माननीय ! आने वाले पांच साल सदन में शिक्षा, स्वास्थ्य ,
अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, मानव संसाधन पर नीति बनाएंगे।
हमारे लोकतंत्र के साथ हुआ यह कि स्वार्थपरता, सत्ता लिप्सा, भ्रष्ट आचरण तो लोकतंत्र का उत्सव हो गए और हमारा मान,मर्यादा , हमारे आदर्श परतंत्र हो गए। *जिस देश में बेरोज़गारी की भीषण समस्या हो, जहां बेरोज़गार दो जून की रोटी का प्रबंध करने के लिए हाथ पैर मार रहा हो, वहां दुनिया के इतिहास का सबसे महंगा चुनाव होते देखा।*
*उम्मीद है!*
अगले पांच साल में सब ठीक हो जाएगा..
*उम्मीद है!*
बादल हटेंगे ।
*उम्मीद है !*
नया भारत , विकसित भारत आगे बढ़े़गा।
*एक उम्मीद !*
काफी है सपने देखने के लिए!
क्योंकि उम्मीद
से बड़ा दुनिया में कोई सहारा नहीं!
लेखक ( स्वतंत्र पत्रकार)
स्वरदूत क्रमांक -९५८४८१५७८१