सीहोर l मिलेट उत्पादक किसानों के हित में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए गत माह कैबिनेट में रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना को लागू करने का निर्णय लिया था। राज्य शासन ने श्रीअन्न (मिलेट्स) उत्पादक कृषकों को अधिक से अधिक लाभान्वित करने के लिये उनकी क्षमता संवर्धनकोदो-कुटकी की विशिष्ट पैकेजिंग एवं ब्राँडिंग गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये निर्देश जारी किये हैं। इससे कृषकों को बेहतर विपणन व्यवस्था उपलब्ध कराते हुए उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने में सहायता मिलेगी।

     शासन ने पूर्व से संचालित लघु धान्य प्र-संस्करणविपणन इत्यादि कार्यों में संलग्न एफपीओ/समूह को महासंघ के रूप में संगठित करने के लिये मार्गदर्शी निर्देश जारी किये हैं। योजना में राज्य सरकारमहासंघ द्वारा क्रय किये गये कोदो-कुटकी पर किसानों को भुगतान किये गये न्यूनतम क्रय मूल्य के अतिरिक्त सहायता राशि के रूप में किसानों के खातों में एक हजार रूपये प्रति क्विंटल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत प्रदाय करेगी। मध्यप्रदेश में श्रीअन्न उत्पादन में संलग्न कृषकोंएफपीओ/समूह को राज्य स्तरीय महासंघ के रूप में संगठित कर नवीन तकनीकी के उपयोग से श्रीअन्नविशेषकर कोदो-कुटकी एवं उसके प्र-संस्कृत उत्पादों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान स्थापित कराने के उद्देश्य से रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना’’ तैयार की गई है। इस योजना का उद्देश्य एफपीओ द्वारा गठित फेडरेशन के माध्यम से श्रीअन्न के लिये वेल्यू चेन विकसित करना और कोदो-कुटकी की खेती में संलग्न कृषकों की आय में वृद्धि करना है। योजना का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश होगा इसकी अवधि वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक है।

     कोदो-कुटकी/श्रीअन्न के विपणन एवं प्र-संस्करण में कार्यरत एफपीओ का महासंघ गठित किया जायेगा। यह श्रीअन्न के उपार्जन भंडारणप्र-संस्करणब्रॉण्ड बिल्डिंग एवं उत्पाद विकास आदि कार्य करेगा। कम्पनी अधिनियम-2013 के अंतर्गत कम्पनी के रूप में महासंघ का गठन कराया जायेगा। जो एफपीओ फेडरेशन के सदस्य होंगेवे सामान्य सभा के सदस्य भी होंगे एवं रोटेशन प्रणाली के आधार पर उनके द्वारा संचालक मण्डल के संचालकों एवं अध्यक्ष का चुनाव किया जायेगा। नवीन एफपीओ को महासंघ में शामिल करने में बोर्ड का निर्णय अंतिम रहेगा।

     योजना के क्रियान्वयन की नोडल संस्था किसान कल्याण तथा कृषि विकास होगी। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में योजना अंतर्गत घटक के नार्म्स अनुसार व्यय किया जायेगा। जिला स्तर पर योजना की समीक्षा एवं मॉनीटरिंग कलेक्टर, उप संचालककिसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा की जायेगी।