लो, जी ! अब तो कांग्रेसी भी मध्यप्रदेश की तारीफ़ करने लगे हैं

मध्यप्रदेश के इंदौर ने 2025 तक लगातार सात वर्षों तक 'भारत का सबसे स्वच्छ शहर' का खिताब जीता जो कि शहरी स्वच्छता के लिए एक बेंचमार्क बनाता है। शहर में शत प्रतिशत डोर-टू-डोर कचरा संग्रह, स्रोत पर सख्त कचरा पृथक्करण और कुशल अपशिष्ट प्रसंस्करण की एक मजबूत प्रणाली का पालन किया जाता है, इसमें भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा बायो-सीएनजी प्लांट भी शामिल है जो गीले कचरे को ईंधन में परिवर्तित करता है। इंदौर नगर निगम कूड़ा फेंकने पर सख्त दंड लागू करता है, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाता है और मशीनीकृत सफाई और नाली के रखरखाव के साथ चौबीसों घंटे सफाई सुनिश्चित करता है। व्यापक जागरूकता अभियान, नागरिक प्रतिक्रिया ऐप और समुदाय द्वारा संचालित शून्य-अपशिष्ट पहल के साथ सार्वजनिक भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शायद इसलिए पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम के सांसद बेटे कीर्ति चिदंबरम ने एक्स पर एक पोस्ट लिखा है। कि क्या चेन्नई कॉरपोरेशन पिछले अध्ययन दौरों से सीखी गई एक भी बात बता सकता है और उसका क्रियान्वयन भी कर सकता है? खराब कचरा प्रबंधन, आवारा कुत्ते और मवेशी, टूटे हुए फुटपाथ और गड्ढों वाली सड़कें चेन्नई की पहचान हैं। तमिलनाडु के हालात पर तंज कंसते हुए उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट सीखने के लिए इंदौर जाने की सलाह दी है। मध्य प्रदेश में लगभग 20 वर्षों से भाजपा की सरकार है और इस दौरान इंदौर स्वछतम शहर का दर्जा प्राप्त कर चुका है l वहां के नगर निगम, विधायक, सांसद और मंत्री ही नहीं बल्कि आम नागरिक भी अपने इंदौर को स्वच्छ रखने में अनुशासन को अपनाते हैं और रही बात लापरवाह लोगों की तो उन पर नगर निगम खुद दंडात्मक कार्रवाई करता है इसलिए आज इंदौर की मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान है l