पचमढ़ी में चल रहे नागद्वारी मेले में सतपुड़ा के घने जंगलों में स्थित नागद्वारी गुफा के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का रैला निरंतर बढ़ रहा है। निर्जन वनों एवं दुर्गम घाटियों की बाधाओं को पार करके भक्तों का सैलाब पद्मशेष नागद्वार मंदिर पहुंच रहा है। साल में एक बार खुलने वाले इस मंदिर के प्रति भक्तों की अटूट आस्था एवं विश्वास ही है जो वे सभी इन कठिनाइयों को भी परास्त कर भगवान पद्मशेष नागद्वार के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। सदियों पुराने नागद्वारी मेला के संबंध में अनेको कथाएं प्रचलित है जिनसे मेले के महत्व के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं। इसी ऐतिहासिक मेले के साक्षी बनते हुए आज दिनांक तक 40 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के दर्शन किए। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के सुरक्षित एवं सुगम यात्रा के लिए यथासंभव हर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई है जिससे भक्तों को यह सफर तय करने में आसानी हो।

ऐसी मान्यता है कि छिन्दवाडा के निकट सौंसर की एक दम्पत्ति हेवत राम एवं मैना देवी जिनके यहा संतान नहीं होती थी इस दंपति ने पदमशेष में मानता करी थी की यदि उनके यहा संतान होती है तो वो नाग देवता को काजल लगायेगी। समय के साथ उनके यहा श्रवण कुमार नामक पुत्र का जन्म हुआ किन्तु किन्हीं कारणवश अपनी मानता भूल गईतब नाग देवता ने इस दम्पत्ति के स्वप्न में दर्शन देकर उन्हें उनकी मानता की याद दिलाई तब ये दंपत्ति नागदेवता को आंख में काजल लगाने के लिए नागद्वारी पहुंची तब नागदेवता ने अपने विराट रूप के दर्शन दिये किन्तु मैना देवी नागदेवता के विराट रूप को देख कर डर गई और अपनी मानता पूरी नहीं कर पाई। तब नागदेवता ने उनके पुत्र श्रवण कुमार को डस लिये जिससे उनकी मृत्यु हो गई जिनकी समाधी आज भी इस स्थल पर मौजूद है। इसी परम्परा एवं मानता के आधार पर महाराष्ट्र एवं अन्य जिलों से श्रद्धालु प्रतिवर्ष नागदेवता को काजल अर्पित करने नागद्वार आते है। यह मेला कई वर्षों से निरंतर चला आ रहा हैइस स्थाल का उल्लेख 1889 में प्रकाशित केप्टन जेम्स फॉरसिथ की बुक Higlands Of Centeral India में मिलता है।

जिला प्रशासन एवं महादेव मेला कमेटी द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से इस वर्ष सी.सी.टी.वी से पदमशेष नागद्वार मंदिर की निगरानी की जा रही है। मेला क्षेत्र में होने वाली समस्त गतिविधियों पर महादेव मेला समिति सचिव अनीशा श्रीवास्तव एवं अन्य उच्चधिकारियों द्वारा निरन्तर नजर बनाये रखे हुऐ हैप्रतिदिन बैठक कर मेले का अपडेट लिया जा रहा है तथा मेला क्षेत्र में आने वाली समस्याओं को तत्परता से हल किया जा रहा है। नागद्वारी मिले के सफल एवं सुचारु संचालन के लिए जिला प्रशासन द्वारा एकीकृत कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है जिसके द्वारा मेले में प्रत्येक सेक्टर पॉइंट से वायरलेस कनेक्टिविटी को जोड़ा गया है। किसी भी वस्तु की आवश्यकता पड़ने पर कंट्रोल रूम के माध्यम से संबंधित विभाग के साथ समन्वय कर सेक्टर पॉइंट्स पर सभी आवश्यक सामग्रियों की पूर्ति की जा रही है साथ ही अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ड्यूटी स्थान पर उनकी उपस्थिति को भी सुनिश्चित किया जा रहा है। कंट्रोल रूम के माध्यम से मेले में दर्शन करने आये श्रद्धालू जो अपने परिजनों से बिछड जाते हैंउनको पुलिस एवं आपदा प्रबंधन के जवानों से समन्वय कर परिजनों से मिलवाया जाता है। उक्त कार्य के लिए जगह-जगह पर खोया पाया केंद्र भी बनाए गए हैं। केंद्र पर उपस्थित संबंधित कर्मचारियों द्वारा पूरी सजगता एवं मुस्तैदी के साथ बिछड़े हुए श्रद्धालुओं को अपने परिजनों से भी मिलवाया जा रहा है।

श्रद्वालुओं की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए प्रशासन द्वारा उनके विश्राम के लिए विभिन्न स्थानों पर टेंट लगाकर उनके विश्राम की व्यवस्था की गई है। भक्तों के संपर्क एवं संचार संसाधनों को मजबूत करने के लिए इस वर्ष अलग-अलग स्थान पर उनकी सुविधाओं के लिए मोबाईल चार्जिंग स्टेशन भी उपलब्ध कराया गए है।

पुलिसबलडॉक्टरआपदा मित्रहोमगार्ड की टीम 24 घंटे राउंड वार श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं निरन्तर सेवा के लिए विभिन्न प्वाईन्टों पर मौजूद हैइनके साथ तहसीलदारनायब तहसीलदार भी अपने प्वाईंटों पर तैनात हैं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी समय-समय पर संपूर्ण मेला क्षेत्र का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया जा रहा है।

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष प्रथम दिवस से ही वाहन परमटिवाहन मालिकों द्वारा उत्सुकता दिखा कर स्वंय प्राप्त किया जा रहा है। जिसके कारण आज दिनांक तक 315 परमिट महादेव मेला समिति द्वारा जारी किये जा चुके हैजिसका निर्धारित किराया पचमढी से जलगली तक शासन द्वारा  50 रुपए रखा गया है। परिवहन विभाग द्वारा भी निरंतर वाहनों की चेकिंग की जा रही है तथा सुगम एवं निर्बाध ट्रैफिक प्रबंधन के माध्यम से वाहनों का आवागमन किया जा रहा है।