भोपाल। वकालत की पढ़ाई करने के बाद प्रहलाद पटेल प्रशासनिक सेवा की तैयारी में लगे हुए थे और इस बीच उनका राज्य प्रशासनिक सेवा में चयन भी हो गया था। जिसमें उन्हें डीएसपी का पद मिल रहा था लेकिन प्रहलाद सिंह पटेल ने कार्यपालिका में सेवा देने की अपेक्षा व्यवस्थापिका के माध्यम से सेवा करने का मार्ग चुना। वो नेता जो डीएसपी का पद छोड़कर राजनीति में आया, वो नेता जिसने नर्मदा की 3300 किलोमीटर लंबी परिक्रमा पैदल की, वो नेता जो आज भी नर्मदा नदी में मग्गा और बाल्टी लेकर जाते है और बाल्टी से पानी निकालकर नदी के बाहर नहाते हैं और नर्मदा की स्वच्छता कायम रहें, इसलिए स्वच्छता अभियान चलाते हैं, वो नेता जो मध्यप्रदेश के अलग- अलग लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़कर ऐतिहासिक मतों से जीतते हैं, वो नेता जो भारत सरकार में कई विभागों के मंत्री रहकर अपनी राजनैतिक और प्रशासनिक क्षमताओं का लोहा मनवा चुके हैं, जी हाँ, हम बात कर रहे हैं पंचायत, ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल की। 28 जून 1960 को नरसिंहपुर में जन्मे पटेल की शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई उच्च शिक्षा के लिए वे जबलपुर आ गए थे, पटेल ने वकालत की पढ़ाई की है और इसी दौरान उन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा पास की थी, अगर वे चाहते तो उस वक्त डीएसपी के पद पर तैनात हो सकते थे लेकिन वह उस समय राजनीति में आए भी नहीं थे और उन्होंने डीएसपी का पद ठुकरा दिया था तब उनकी क्या स्थिति रही होगी ? मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग से नाता रखने वाले मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल कुशल वक्ता है और स्थानीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी पकड़ रखते हैं। पांच बार के सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल 2003 में केंद्र की सरकार में कोयला मंत्री रह चुके हैं और 2003 के बाद भी वे केन्द्र सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी के लोधी समाज से ताल्लुक रखने वाले मध्य प्रदेश के कद्दावर भाजपा नेता प्रह्लाद सिंह पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं साल 2005 में वह भाजपा से अलग होकर भारतीय जनशक्ति में उमा भारती के साथ रहे थे हालांकि तीन साल बाद ही मार्च 2009 में उन्होंने भाजपा में घर वापसी कर ली थी और 2014 में पांच साल बाद दमोह से लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे और भाजपा सांसद बने थे। प्रहलाद सिंह पटेल 2019 में भी दमोह से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। प्रह्लाद सिंह पटेल सन दो हजार में देश में गौहत्या पर प्रतिबंध के लिए एक निजी विधेयक लोकसभा में लाए थे, प्रह्लाद सिंह पटेल सबसे पहले 1989 में लोकसभा के सदस्य चुने गए थे वह एक अनुभवी सांसद रहे हैं इसके साथ वह लोकसभा के अनेक समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं। पटेल अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे, वर्ष 1980 में वे जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे पलट कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते गए। इसके बाद वे भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा में कई अहम पदों पर रहे हैं। उमा भारती ने वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में जब प्रदेश में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की 10 वर्षीय शासन को उखाड़ फेंका तब प्रह्लाद सिंह पटेल, उमा भारती के साथ चट्टान की तरह खड़े थे इसके बाद भाजपा में उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में प्रदेश में लगातार 15 वर्षों तक शासन किया। मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल उन गिने-चुने राजनेताओं में से हैं जिन्होंने पैदल नर्मदा परिक्रमा की है, यह पैदल परिक्रमा नर्मदा भक्तों में पवित्र मानी जाती है, मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल शुद्ध शाकाहारी है तथा हिंदुत्व की राह में चलने वाले राजनेता हैं। वे पंचायत ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री के रूप में ऐतिहासिक कार्य कर रहें हैं, चाहें पंचायत विभाग हों, ग्रामीण विकास विभाग हो या फिर श्रम विभाग हो, वे नवाचारों के माध्यम से इन विभागों को नई ऊँचाई दे रहे हैं। केन्द्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी उनके विभाग अग्रणी हैं।