रबी फसलों की तैयारी एवं उर्वरक वितरण व्यवस्था के संबंध में बैठक सम्पन्न
खंडवा l अपर कलेक्टर श्री के.आर. बडोले की अध्यक्षता में गुरूवार को कलेक्टर सभागृह में रबी फसलों की तैयारी एवं उर्वरक आदान वितरण व्यवस्था, बिजली, सिंचाई जल उपलब्धता के सम्बन्ध में बैठक आयोजित हुई। बैठक में जिले के कृषि विभाग, जलसंसाधन विभाग, सहकारिता, मंडी, उद्यानिकी, बिजली विभाग, विपणन संघ खण्डवा एवं उर्वरक कंपनियों के प्रतिनिधि, आदान विक्रेता संघ, किसान संघ के प्रतिनिधि, संयुक्त कृषक संगठन के प्रतिनिधि एवं कृषकगण उपस्थिति थे।
बैठक में उपसंचालक कृषि द्वारा आगामी रबी मौसम हेतु गेहूं, चना, सरसों, कुसुम, चिया की खेती को बढ़ावा देने, सोयाबीन उपार्जन पंजीयन, गेंहू की बायोफोर्टीफाइड किस्मों को बढ़ावा देने पर विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही गतवर्ष गेंहू की किस्म में कीट व्याधि का अधिक प्रकोप होने से जिले के किसानों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। इस वर्ष फसलों की नवीन किस्मों का उपयोग करने पर जोर दिया तथा जिले के किसानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण आदान उपलब्ध कराने हेतु सम्बंधित गुण नियंत्रण निरीक्षकों द्वारा उर्वरक, बीज नमूनों का आहरण कर गुणवत्ता परीक्षण हेतु प्रयोगशालाओं को जाँच के लिए भेजे जा रहे है। निजी आदान विक्रेताओं पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है तथा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ही आदान सामग्री का भंडारण एवं वितरण किया जाये, बिना अनुमति प्राप्त आदान विक्रय या भंडारण करने पर अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जावेगी।
जिले में रबी मौसम हेतु 2,95,878 हेक्टेयर रकबा प्रस्तावित किया गया हैं, जिसमें मुख्यतः गेंहू 2,06,000 हेक्टेयर, चना 77,000 हेक्टेयर, सरसों 2,000 हेक्टेयर, कुसुम 650 हेक्टेयर व अन्य 10,228 हेक्टेयर में बोनी की जाना प्रस्तावित है। जिले में रबी उर्वरक व्यवस्था अंतर्गत यूरिया 40,000 मेट्रिक टन, डीएपी 8000 मेट्रिक टन, एस.एस.पी. 15000 मेट्रिक टन, एम.ओ.पी. 4000 मेट्रिक टन, एन.पी.के. 12000 मेट्रिक टन भंडारण का लक्ष्य रखा गया है जिसमें वर्तमान में यूरिया 10721 मेट्रिक टन, डीएपी 1114 मेट्रिक टन, एस.एस.पी. 12807 मेट्रिक टन, एम.ओ.पी. 5173 मेट्रिक टन, एन.पी.के. 4100 मेट्रिक टन उपलब्ध है तथा आगामी सप्ताह में इफ्फको कंपनी की 1 रेक एवं पी.पी.एल. कंपनी की 1 रेक डी.ए.पी. एवं 12ः32ः16 की 2 रेक उर्वरक आना प्रस्तावित है। वर्तमान में जिले में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है।