सीधी l कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. अलका सिंह के मार्गदर्शन में ग्राम जमोड़ी में वैज्ञानिकों द्वारा खरीफ की फसल का अवलोकन कार्य किया गया। उक्त भ्रमण में भारत सरकार केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र मुरैना के सुनीत कुमार कटियार वनस्पति संरक्षण अधिकारी, अभिषेक सिंह बादल सहायक वनस्पति अधिकारी, डाॅ. शैलेन्द्र सिंह गौतम वैज्ञानिक एवं श्रीमती अमृता तिवारी कार्यक्रम सहायक पौध संरक्षण उपस्थित रहे। वैज्ञानिकों द्वारा खरीफ की फसल का भ्रमण कार्य किया गया। उक्त भ्रमण के दौरान धान की फसल में पत्ता लपेटक कीट का प्रकोप पाया गया यह कीट पत्तियों को लपेटकर जाला बनाता है एवं उसकी बढ़वार प्रभावित करता है। यदि समय पर इस कीट का प्रबंधन किसान भाई नहीं कर पाते है तो फसल में ज्यादा क्षति कीट के द्वारा होती है।

किसान भाईयो से अनुरोध है कि जिले में अभी इस कीट का प्रकोप कम प्रतिशत में है। इस कीट को समय रहते प्रबंधन कर ले तो किसान भाई अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते है। अन्यथा इस कीट के द्वारा भारी मात्रा में क्षति की सम्भावना हो सकती है। इस कीट के प्रबंधन के लिये किसान भाई नत्रजन युक्त उर्वरकों का उपयोग कम करें रोग ग्रसित एवं कीट संक्रमित पौधों के हिस्सों को काट कर हटा दें। खेतों से घास एवं खरपतवार हटा दें, मकड़ी, परजीवी, ततैया, शिकारी भृंग मेढक और ड्रैगन फ्लाई जैसे शिकारियों को प्रोत्साहित करें। कीट के प्रबंधन के लिये जैव कीटनाशकों वनस्पतिक पदार्थों के उपयोग को बहुतायता से उपयोग करना चाहिये। जब कीट का प्रकोप खेतो पर आर्थिक क्षति हानि स्तर से ज्यादा हो जाये तो कृषकों को कीटनाशक दवाइयों जैसे नीम आधारित कीट नाशक अजाडिरैक्टिन 1500 पीपी.एम./5 मिली. प्रति लीटर पानी में, छिडकाव करें। फ्लुबेंडियामाइड 20 प्रतिशत डब्ल्यूजी./0.05 ग्राम प्रति लीटर एवं फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी./400 मिली. प्रति एकड़ छिड़काव करें।