जबलपुर l किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से फसल विविधीकरण के किये जा रहे प्रयासों के तहत राष्ट्रीय तिलहन मिशन योजनांतर्गत जिले में मूंगफली की बोनी प्रारंभ कर दी गई है। मूँगफली की बोनी की शुरुआत कृषि अधिकारियों की मौजूदगी में पाटन विकासखण्ड के ग्राम कोनीकला के किसान शंकरलाल बर्मन के खेत से की गई। इस दौरान अनुविभागीय अधिकारी कृषि पाटन डॉ. इंदिरा त्रिपाठी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीकांत यादव, विषय वस्तु विशेषज्ञ पंकज श्रीवास्तव, श्रीमति अंकिता गुप्ता एवं क्षेत्र के किसान उपस्थित थे।       

ज्ञात हो कि जिले के कृषि अधिकारियों के हाल ही के विभिन्न राज्यों के शैक्षणिक भ्रमण के दौरान तिरुपति कॉलेज में देखे गये प्रदर्शन और कृषि वैज्ञानिकों से मिली सलाह के बाद जायद फसल के रूप में जिले में नवाचार के तौर पर मूंगफली की फसल लेने किसानों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया। पाटन की अनुविभागीय अधिकारी कृषि पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी के मुताबिक वर्तमान में जिले में लगभग 1 लाख 15 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में ग्रीष्म कालीन मूंग एवं उडद की फसल ली जाती है। उन्होंने बताया कि पूर्व में जिले में खरीफ के दौरान मूंगफली की फसल ली जाती थी किन्तु धीरे-धीरे किसानों द्वारा मूंगफली बोना छोड दिया गया । उन्होंने बताया कि अब एक बार फिर जायद में मूंग एवं उड़द का रकबा कम करने और फसल विविधिकरण को बढावा देने के उद्देश्य से किसानों को मूँगफली की फसल लेने प्रोत्साहित किया जा रहा है और राष्ट्रीय तिलहन मिशन के अंतर्गत क्लस्टर प्रदर्शन के लिये प्राप्त बीज से मूंगफली की बुआई की जा रही है।      

वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्रीकांत यादव द्वारा बताया गया कि जिले में जायद में नवाचार के तौर पर मूंगफली का सर्वाधिक उत्पादन देने वाली किस्म कादरि लेपाक्षी 1812 की बुआई की जा रही है। यह 110 से 115 दिन की फसल है और इसमें 28 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त होता है। मूंगफली की यह किस्म कीट एवं रोग प्रतिरोधी है। उन्होंने बताया कि मूंगफली का उपयोग तेल निकालने और खाद्य पदार्थों में किया जाता है। वर्तमान में इसकी मांग भी काफी अधिक है। किसान मूंगफली की बोनी करते हैं तो अधिक लाभ कमा सकते हैं। कृषि अधिकारियों ने बताया कि किसान शंकरलाल बर्मन के खेत में मूँगफली की बोनी के पूर्व इसके बीज का ट्रायकोडरमा से उपचार किया। बीजोपचार ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी सुश्री कलसी वरकड़े द्वारा किया गया था।