यह आदेश किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उपसंचालक के प्रस्ताव से सहमत होकर जारी किया गया है।

   उक्त आदेश मात्र गेहूं भूसा निर्यात को प्रतिबंधित किया गया है। चनामसूरतेवडा आदि का भूसा तथा ज्वार एवं धान के डंठल के निर्यात या परिवहन प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे।

   जारी आदेश में उल्लेख है कि जिले के कृषकों द्वारा फसल कटाई उपरांत फसल अवशेषों में आग लगाई जाकर नष्ट कर दिया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप आगजनी की घटनाएं तो घटित होती ही हैपशु चारे की कमी भी निर्मित होती हैउक्त कारणों से जिले में नरवाई को जलाया जाना प्रतिबंधित किया गया है। प्रतिबंध उपरांत फसल कटाई के अवशेषो (नरवाई) से (गोवंश) के उपयोग हेतु भूसा बनाया जाकर संधारित किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ हो गई हैतथा जिले में जानवरो के खाने के लिए हरे घास की कमी हो जाएगी। जिले में फसल कटाई हेतु कम्बाईन हॉर्वेस्टर के साथ स्ट्रा रीपर के उपयोग यानि स्ट्रॉ मेनेजमेन्ट सिस्टम (एसएमएस) को भी अनिवार्य किया गया हैजिससे फसल अवशेषो (नरवाई) से भूसे का निर्माण हो सके।

   पशुओं के आहार में आने वाले केवल गेहूं-भूसा को जिले की सीमा से बाहर

निर्यात ध् परिवहन किया जाना प्रतिबंधित किया गया है। गेहूं-भूसा का व्हाइट कोल के रूप में उद्योगो एवं ईट के भट्टो में जलाने के लिए तत्काल प्रतिबंधित किया जाता है। गेहूँ-भूसा को कोई भी कृषक ध् व्यापारी या व्यक्ति या निर्यातक संस्था किसी भी

प्रकार के वाहन नावमोटरट्रकबैलगाडी एवं रेलवे अथवा अन्य परिवहन साधन द्वारा जिले के बाहर बिना कार्यकारी मजिस्ट्रेट की लिखित अनुमति के निर्यातपरिवहन नहीं करेंगे।

   जिले के समस्त उपखण्ड मजिस्ट्रेटकार्यपालिक मजिस्ट्रेट तथा पुलिस अधिकारी आदेश का क्रियान्वयन करते हुए पालन सुनिश्चित करेगें। यह आदेश विदिशा जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा में तत्काल रूप से प्रभावशील होगा। आदेश की उल्लंधन की दशा में धारा 188 तथा म. प्र. पशु चारा निर्यात नियंत्रण आदेश नियम-2000 एवं अन्य विधिक प्रावधानो के अतर्गत संबंधितो के विरूद्व कार्यवाही संपादित की जाएगी।